Home » Holika Dahan 2025 Bhadra Time : भद्रा में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य और कब है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

Holika Dahan 2025 Bhadra Time : भद्रा में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य और कब है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषशास्त्र में भद्रा को लेकर यह मान्यता है कि उनके प्रभाव के दौरान किए गए कार्यों में विघ्न आता है और वे सफल नहीं होते।

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

फीचर डेस्क: इस बार होलिका दहन पर भद्रा का प्रभाव रहेगा, जिससे इस दिन विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होलिका दहन का सही समय और मुहूर्त तय करने से पहले यह जानना जरूरी है कि भद्रा क्या हैं और उनके प्रभाव से क्यों बचना चाहिए? इस साल, होलिका दहन 13 मार्च को होगा, लेकिन इस दौरान भद्रा का साया 12 घंटे 51 मिनट तक रहेगा। आइए जानते हैं इस साल के होलिका दहन और होली पूजा के विशेष मुहूर्त के बारे में।

होलिका दहन पर भद्रा का समय

पंचांग के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च, गुरुवार को होगा। इस दिन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तिथि सुबह 10 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जो 14 मार्च, शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। इस समय के दौरान 12 घंटे 51 मिनट तक भद्रा का प्रभाव रहेगा, जो सुबह 10:35 से रात 11:26 बजे तक रहेगा। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि भद्रा के समय कोई भी कार्य अशुभ माना जाता है।

भद्रा का मुख और पूंछ समय

भद्रा के असर को और विस्तार से समझें तो यह इस प्रकार है:

भद्रा की पूंछ: शाम 06:57 बजे से रात 08:14 बजे तक रहेगी।
भद्रा का मुख: रात 08:14 बजे से रात 10:22 बजे तक रहेगा।
इन दोनों समयों में कोई भी शुभ कार्य करना टाल देना चाहिए। होलिका दहन का मुहूर्त, भद्रा के समाप्त होने के बाद ही शुरू होगा, और यह रात 11:26 बजे से रात 12:30 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन का मुहूर्त 2025

इस बार होलिका दहन के लिए सबसे शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में ही होलिका दहन किया जाएगा। इस समय भद्रा का प्रभाव समाप्त हो चुका होगा और शुभ कार्य के लिए यह सबसे उपयुक्त समय होगा।

भद्रा कौन हैं?

भद्रा का नाम हिन्दू धर्म और ज्योतिषशास्त्र में विशेष महत्व रखता है। भद्रा, सूर्य देव की पत्नी छाया की संतान हैं। उनके भाई शनि देव हैं और बहन भद्रा। भद्रा का रूप काला, लंबे बाल और बड़े दांतों वाला था। उनका स्वभाव बचपन से ही चंचल और उपद्रवी था। उनके जन्म के साथ ही घरों में मंगल कार्यों में रुकावटें आने लगीं। इसलिए, भद्रा का प्रभाव अशुभ माना जाता है और इनके समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।

भद्रा के प्रभाव से क्यों बचते हैं लोग?

ज्योतिषशास्त्र में भद्रा को लेकर यह मान्यता है कि उनके प्रभाव के दौरान किए गए कार्यों में विघ्न आता है और वे सफल नहीं होते। भद्रा का असर विशेष रूप से विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण और अन्य मंगल कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसलिए, इन समयों में किसी भी तरह के शुभ कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है।

Read Also- International Women’s Day 2025 : क्यों 8 मार्च को सेलिब्रेट किया जाता है वुमेन डे, जानें कुछ महत्वपूर्ण बातें

Related Articles