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1855 के संथाल विद्रोह की याद में मना हूल दिवस, सियासत भी गरमाई

Jharkhand News: राजनीतिक दलों ने केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर साधा निशाना।

by Reeta Rai Sagar
Leaders of JMM, Congress, and BJP speak on Hool Diwas 2025 in Jharkhand
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रांचीः 1855 में संथाल परगना में हुए ऐतिहासिक संथाल विद्रोह की याद में आज पूरे झारखंड में हूल दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन शहीद सिदो-कान्हू और उनके बलिदान को याद करने का है, लेकिन इस मौके पर झारखंड की सियासत गरमा गई है।

‘एक और हूल की जरूरत’, कांग्रेस और जेएमएम ने केंद्र सरकार पर बोला हमला


झारखंड कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि देश की वर्तमान स्थिति में एक बार फिर ‘हूल’ यानी विद्रोह की जरूरत महसूस हो रही है।

बीजेपी ने देश में फैला दी अराजकता, महंगाई और बेरोजगारी


झारखंड कांग्रेस के महासचिव विनय सिन्हा ने कहा, “बीजेपी की केंद्र सरकार ने देश में अराजकता, महंगाई और बेरोजगारी फैला दी है। भ्रष्टाचार और अनियमितता हर जगह हावी है। इसलिए अब एक नए हूल की जरूरत है।”

जेएमएम के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने भी दोहराया


उन्होंने कहा, “2014 के बाद देश एक बार फिर पराधीन हो गया है। हम चंद लोगों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं। अब एक और आंदोलन की जरूरत है।”

बीजेपी का पलटवार- ‘झारखंड सरकार ही आदिवासियों का शोषण कर रही’


भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि झारखंड में हूल क्रांति की जरूरत खुद मौजूदा सरकार के खिलाफ है।

बीजेपी प्रवक्ता अशोक बड़ाईक ने कहा-


“सिदो-कान्हू की आत्मा का स्थान, संथाल परगना आज बांग्लादेशी घुसपैठियों का अड्डा बन गया है। और यह सब झारखंड सरकार के संरक्षण में हो रहा है। यह सरकार सिदो-कान्हू के सपनों की हत्या कर रही है। इसलिए इस प्रदेश में हूल जोहार की आवश्यकता है।”

संथाल विद्रोह और हूल दिवस का महत्व


हूल दिवस, संथाली भाषा में ‘हूल’ का अर्थ होता है- विद्रोह। यह दिन 1855 के उस विद्रोह की याद दिलाता है, जब सिदो और कान्हू मुर्मू ने ब्रिटिश हुकूमत और महाजनी व्यवस्था के खिलाफ संथालों का नेतृत्व किया था। यह सिर्फ एक लड़ाई नहीं थी, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक था।
आज, इस आंदोलन की प्रेरणा को विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडे के अनुसार इस्तेमाल कर रहे हैं।

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