RANCHI: रेलवे की सुरक्षा की जिम्मेवारी आरपीएफ के कंधों पर है। स्टेशन से लेकर ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा भी हर हाल में आरपीएफ ही सुनिश्चित करता है। ऐसे में आरपीएफ कई तरह के अभियान भी चला रहा है। इतना ही नहीं इस अभियान के तहत बड़े ऑपरेशन को अंजाम भी दिया जा रहा है। आरपीएफ ने इसी कड़ी में ऑपरेशन आहट के तहत बड़ी कार्रवाई की है। जिसमें इस साल 31 से अधिक नाबालिग और महिलाओं को रेस्क्यू किया गया है। जिन्हें तस्कर काम दिलाने के नाम पर दूसरे शहर ले जा रहे थे।
आहट के तहत की गई कार्रवाई
रेलवे सुरक्षा बल द्वारा मिल 2025 में मानव तस्करी के विरुद्ध चलाए जा रहे विशेष अभियान आहट के आंकड़े सामने आए हैं। जनवरी से जुलाई माह तक की जारी रिपोर्ट के अनुसार आरपीएफ ने कुल 31 लोगों को रेस्क्यू किया। जिनमें 15 नाबालिग लड़के, 8 नाबालिग लड़कियां और 8 महिलाएं शामिल हैं। इस दौरान कुल 10 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 3 महिलाएं और 7 पुरुष हैं।
रांची स्टेशन से शुरू हुई थी कार्रवाई
जनवरी 2025 में रांची (RNC) पोस्ट पर 2 नाबालिग लड़कियों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया और एक पुरुष तस्कर को पकड़ा गया। इसके बाद फरवरी से मई तक कोई कार्रवाई नहीं हुई जिससे आंकड़े शून्य रहे। हालांकि इस दौरान भी आरपीएफ ने अभियान चलाया। लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद जून महीने में ऑपरेशन के दौरान हटिया रेलवे स्टेशन से 11 नाबालिग लड़कों को बचाया गया। इस दौरान दो तस्करों को भी पकड़ा गया। वहीं नाबालिग लड़कियों या महिलाओं के बचाव का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
जुलाई में सबसे ज्यादा रेस्क्यू
आरपीएफ ने जुलाई 2025 में बड़ा ऑपरेशन चलाया। इस अभियान के लिए टीम ने पूरा जोर लगाया। रांची में 8 महिलाओं को तस्करों के चंगुल से से बचाया गया, जबकि 1 महिला और 2 पुरुष तस्करों को गिरफ्तार किया गया। वहीं रांची से 4 नाबालिग लड़कों और मूरी से 6 नाबालिग लड़कियों को रेस्क्यू किया गया। इस दौरान रांची और मूरी से 2-2 पुरुष तस्करों को पकड़ा गया। इस तरह जुलाई में कुल 18 लोगों को बचाया गया। वहीं 7 तस्कर को गिरफ्तार किया गया। जिसमें 1 महिला और 6 पुरुष शामिल हैं।
मानव तस्करी को रोकने का प्रयास
AHAT-2025 के तहत रेलवे सुरक्षा बल की ओर से की गई यह पहल मानव तस्करी रोकने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है। जुलाई माह में हुई बड़ी कार्रवाई यह दर्शाती है कि रेलवे स्टेशन तस्करी के रूट में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में आरपीएफ की सतर्कता और निगरानी से रेस्क्यू किया जा रहा है। वहीं रेस्क्यू किए जाने के बाद उन्हें देखभाल के लिए सीडब्ल्यूसी और प्रेमाश्रय में भेजा जाता है। जिससे कि उनकी प्रॉपर जानकारी जुटाने के बाद परिजनों को सौंपा जा सके। रेलवे की इस रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट है कि तस्कर महिलाओं और बच्चों को मुख्य रूप से निशाना बना रहे हैं।