जमशेदपुर : झारखंड सरकार, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग तथा प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था ‘पथ’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला का भव्य समापन समारोह दिनांक 4 मई 2025 को रवींद्र भवन, साकची में संपन्न हुआ। इस सांस्कृतिक पहल का उद्देश्य युवाओं में रंगमंच के प्रति रुचि जागृत करना और उन्हें पेशेवर प्रशिक्षण प्रदान करना था।
कार्यशाला के समापन अवसर पर प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत नाट्य मंचन ‘बिरसा : अविस्मरणीय योद्धा’ ने दर्शकों को आंदोलित कर दिया। इस नाटक ने महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जीवन, संघर्ष और उनके नेतृत्व में हुए आंदोलन को प्रभावशाली ढंग से मंच पर प्रस्तुत किया। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने बिरसा के विचारों, उनके साहस और समाज में लाए गए बदलावों को जीवंत किया। दर्शकों ने इस प्रस्तुति को खूब सराहा और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सम्मानित किया।

इस कार्यशाला में शहर सहित विभिन्न क्षेत्रों से कुल 50 से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया। प्रमुख प्रतिभागियों में राजकुमार दास, श्याम कुमार, खुशी कुमारी, अंकिता कुमारी, आशुतोष कुमार सिंह, सुमन, सौरभ कुमार, आयशा हुसैन, शुभम निषाद, शिल्पा दत्त, पूजा मुखी, रामदेव सिंह, श्रेया कुमारी, रूपेश कुमार प्रसाद, यशराज, सुषमा प्रमाणिक, आदिल खान, आकांक्षा गुप्ता, संगीता साहू, नताशा पोद्दार, सुभाषित कुंडू, अमीर हम्ज़ा, चंपई सोरेन, मार्टिन सुंडी आदि शामिल रहे।
कार्यशाला में प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक और अनुभवी रंगकर्मी आमंत्रित किए गए। मुख्य प्रशिक्षक के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी मोहम्मद निज़ाम ने न केवल अभिनय प्रशिक्षण में मार्गदर्शन किया बल्कि ‘बिरसा : अविस्मरणीय योद्धा’ के सह-निर्देशन में भी विशेष योगदान दिया। इस नाटक का निर्देशन मोहम्मद निज़ाम एवं रामचंद्र मार्डी ने संयुक्त प्रयासों से किया था।

कार्यशाला संयोजन का उत्तरदायित्व छवि दास ने सफलतापूर्वक निभाया। इस अवधि में प्रतिभागियों को अभिनय की बारीकियों के अतिरिक्त, संवाद अदायगी, रंग-सजावट, वेशभूषा, संगीत, स्वर-मंचन, भाव-प्रदर्शन एवं रंगमंचीय अनुशासन की गहन जानकारी दी गई। प्रशिक्षकों द्वारा मंच भाषा, चरित्र निर्माण, और रंगदर्शकों से संवाद स्थापित करने की कला पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
यह आयोजन झारखंड की सांस्कृतिक चेतना को सशक्त करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास रहा, जिसमें युवा प्रतिभाओं को न केवल नाट्यकला का सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त हुआ, बल्कि वे सामाजिक विषयों पर केंद्रित नाटकों के माध्यम से जनचेतना की दिशा में भी प्रेरित हुए।

नाटक समाप्त होने के बाद एल. आकांक्षा, अनन्य राज और यश राज ने अपने कार्यशाला के अनुभव को साझा किया।
कार्यक्रम के समापन पर दर्शकों, रंगकर्मियों और अधिकारियों ने कार्यशाला के आयोजन को अत्यंत सफल और प्रेरणादायक बताया तथा भविष्य में इस प्रकार की रचनात्मक पहलों के निरंतर आयोजन की अपेक्षा की।