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‘Long Crazy Day’ आर प्रज्ञानानंदा ने टाटा स्टील शतरंज खिताब में वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश को हराया

मुझे पिछले छह महीनों में जो गलत हुआ, वह पता था और मुझे पता था कि मुझे किस पर काम करना है। मैं इसे बेहतर करने की कोशिश करता रहूंगा।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क : ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा ने अपनी पहली टाटा स्टील शतरंज प्रतियोगिता जीत ली है। उनके लिए यह एक भावुक क्षण रहा, क्योंकि उन्होंने यह प्रतियोगिता वर्ल्ड चैपियन डी गुकेश को हराकर कर जीती है। जीत के आर प्रज्ञानानंदा ने कहा कि वह इस ‘क्रेजी डे’ की उम्मीद नहीं कर रहे थे, जिसमें 8 घंटे की वर्ल्ड क्लास परफॉर्मेंस के बाद उन्होंने मौजूदा विश्व चैंपियन डी. गुकेश को हराया।

6.5 घंटे गेम चली, फिर हमें ब्लिट्ज मिलीः प्रगनंदा

आगे प्रज्ञानानंदा ने कहा कि ‘यह बहुत लंबा था, लगभग आठ घंटे, पहली गेम ही 6.5 घंटे चली और फिर हमारे पास ब्लिट्ज था, यह एक क्रेजी डे रहा’। जीत के बाद प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘यह शतरंज की दुनिया में एक बहुत खास इवेंट है और मैंने बचपन में टूर्नामेंट के गेम्स देखे हैं। पिछले साल यह मेरे पक्ष में नहीं गया था, इसलिए मैं इस टूर्नामेंट के लिए बहुत उत्सुक था’।

मुझे पता था, मैंने क्या गलती की औऱ मुझे क्या सुधारना है

रिकॉर्ड के लिए, प्रज्ञानानंदा ने कुल छह मैच जीते, पांच ड्रॉ किए और दो मैचों में हार का सामना किया। अपने भविष्य के कार्यक्रमों के बारे में उन्होंने कहा कि वह प्राग मास्टर्स में प्रतिस्पर्धा करेंगे। अपने आगे के प्लान पर चर्चा करते हुए प्रज्ञानानंदा ने कहा कि ‘मुझे पिछले छह महीनों में जो गलत हुआ, वह पता था और मुझे पता था कि मुझे किस पर काम करना है। मैं इसे बेहतर करने की कोशिश करता रहूंगा। मैंने इस टूर्नामेंट के लिए अपने खेल में कुछ चीजें बदलीं’।

पहला मैच हारना अनावश्यक था….

टाईब्रेक के पहले दो मैचों के बारे में बात करते हुए, जिसमें उन्होंने एक मैच हारा और दूसरे में जीत हासिल की, प्रज्ञानानंदा ने बताया कि पहला मैच हारना अनावश्यक था, ‘मुझे बस ड्रॉ लेना चाहिए था’। दूसरे मैच में, गुकेश की स्थिति अच्छी थी, लेकिन धीरे-धीरे वह मात खा गए। तीसरे मैच में, जो कि निर्णायक मैच था, में प्रज्ञानानंदा फिर से अपनी सफेद मोहरे के साथ डिफेंसिव थे, लेकिन फिर उन्होंने कुछ अच्छे कदम उठाए और गुकेश ने उस स्थिति में अधिक महत्वाकांक्षी होकर गलती की, जो अन्यथा ड्रॉ हो सकती थी।

अपनी आंखें बंद की और ……

जर्मनी के विन्सेंट कीमर के खिलाफ अपने क्लासिकल मैच में अपनी हार के बारे में बात करते हुए, प्रज्ञानानंदा ने स्वीकार किया कि उन्होंने अजीब काम किए थे। जब उनसे पूछा गया कि वह कैसे टाईब्रेक में अच्छे रूप में लौटे, तो प्रज्ञानानंदा ने कहा, ‘मैं परेशान था, लेकिन मुझे प्रयास करने का एक मौका मिला, मैं बस अपने आप को शांत करने की कोशिश कर रहा था। मैं वेन्यू में ही रहा, अपनी आंखें बंद कीं और आराम करने की कोशिश की’।

हम दोनों ने गेम को इंजॉय किया

चेन्नई के रहने वाले प्रज्ञानानंदा ने आगे कहा, ‘यह एक बार का मौका था। मैं परेशान हो सकता था और हार सकता था, मुझे अपनी अंतिम गेम (कीमर के खिलाफ) से खुशी नहीं थी, लेकिन मैं अभी भी इवेंट जीत सकता था और यही महत्वपूर्ण है’। उन्होंने कहा, ‘हम दोनों (वह और गुकेश) इस अवसर का आनंद ले रहे थे, क्योंकि आज हमने अच्छे खेल में मात खाई’।

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