सुर से सुर मिले, ध्वनि से ताल, नए साल में
हम मिले तो यार, हो कमाल, नए साल में
बागवान के बाग में चहकते हुए, ‘फूल’ हो
आम आदमी की थोड़ी बात भी, कुबूल हो
कब किसे, कहां, रहा
मालाल नए साल में?
हम मिले तो यार, हो कमाल, नए साल में
मुफ़्त मुफ़्त मुफ़्त मुफ़्त रोटियां, न चाहिए
कोने में सिसकती हुई बेटियां, न चाहिए
पूछना है छूटे कुछ,
सवाल नए साल में!!
हम मिले तो यार, हो कमाल, नए साल में
मिल रहे वो भूल, पिछले शूल, छल-कपट गीले
वोट देने वाले आस-वाट, जोहते मिले
वादों पर भी उठ गया
बवाल नए साल में!!
हम मिले तो यार, हो कमाल, नए साल में
अबकी नया साल यार हौसला, बढाईये
चाऊँ, माऊँ, झाऊँ का सामान, मत उठाइये
माँ भारती के भाल पर
निहाल नए साल में!!
हम मिले तो यार, हो कमाल, नए साल में
संजीव कुमार मुकेश
नालंदा (बिहार)
संपर्क: 9334280045
sanjivmukesh.com
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