अर्थ डेस्क, दिल्ली : भारत की एक घोषणा से चीन परेशान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा ने पड़ोसी देश की चिंता और बढ़ा दी है। वहीं भारत के युवा इंजीनियरों के लिए संभावनाओं के नये रास्ते खोल दिये हैं।
दरअसल, वर्ष 2026 तक भारत वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर मार्केट हब(CHIP HUB) बनने के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद दौरान हुए एक समझौते से पूरी दुनिया में चर्चा तेज हो गयी है। माइक्रोन टेक्नोलॉजी के सीईओ संजय मेहरोत्रा की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद घोषणा की है कि वह भारत में चिप निर्माण शुरू करेगा।
कंपनी ने पहले चीन में प्लांट लगाने की घोषणा की थी। चीन ने माइक्रोन टेक्नोलॉजी पर यहां प्रतिबंध लगा दिया था। वह पहले से वहां चिप निर्माण का काम कर रही थी। अगले साल से भारत में चिप बनने लगेगा।
माइक्रोन किस राज्य में लगाने जा रहा अपना प्लांट
माइक्रोन टेक्नोलॉजी अगले साल से भारत में चिप बनाना शुरू कर देगी। कंपनी को पीएलआई यानी (प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव) का भी फायदा हो, इसके लिए पिछले ही सप्ताह कैबिनेट कमिटी की मीटिंग में माइक्रोन की इनवेस्टमेंट स्कीम पर मुहर लग गयी थी।
पीएलआई का लाभ यह होता है कि सरकार किसी भी तरह की परियोजना-लागत का 50 फीसदी खर्च वहन करती है। यह डील इतनी बड़ी है कि केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री के हालिया अमेरिकी दौरे में हुए सेमीकंडक्टर डील को भारत के विकास के लिए ‘मील का पत्थर’ बताया है।
माइक्रोन को चीन में हो रहा घाटा पूरा करना है, इसलिए वह जल्दी में है। कंपनी ने कहा है कि वह 2023 में ही गुजरात में अपनी चिप एसेंबली व टेस्ट फैक्ट्री की स्थापना करने की कोशिश करेगी। अगले साल से फैक्ट्री का संचालन शुरू होने की उम्मीद है। इस फैक्ट्री में 2.75 अरब डॉलर का निवेश होगा, जिनमें से 82.5 करोड़ डॉलर माइक्रोन कंपनी और बाकी निवेश भारत की केंद्र सरकार और गुजरात की प्रदेश सरकार मिलकर करेगी।
इंजीनियरिंग के बाद नौकरी के क्या हैं अवसर
भारत के इंजीनियर्स के लिए यह बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि अमेरिका की बड़ी कंपनी लैम रिसर्च भी तकरीबन 60,000 इंजीनियरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करेगा। मोदी ने सेमीकंडक्टर विजन की घोषणा के साथ ही भारत के सेमीकॉन इकोसिस्टम को तैयार करने के लिए 76,000 करोड़ रुपए का निवेश स्वीकारा था, जिसके बाद ही पिछले 18 महीनों में काफी प्रगति हुई है।
माइक्रोन से पहले भारत में चिप बनाने के लिए वेदांता और फॉक्सकॉन ने औपचारिक घोषणा की थी, लेकिन चिप की टेक्नोलॉजी मिलने में हो रही दिक्कतों की वजह से उनसे पहले माइक्रोन भारत में चिप बनाने लगेगी। माइक्रोन, लैम रिसर्च या अप्लाएड मटीरियल्स जैसी नामी और बड़ी कंपनियां जब भारत की मजबूती और भारत आने का ऐलान करती हैं, तो यह देश के हक में होता है।
भारत को इसको लाभ मिलना तय है। दूर भविष्य की तकनीक, उत्पाद या सेवाओं को आकार देने में इस समझौते से बहुत सहायता मिलेगी। बड़ी बात यह है कि इस समझौते से सप्लाई चेन में तो जिनको अप्रत्यक्ष तौर पर नौकरी मिलेगी, वह एक अलग बात है, लेकिन सीधे तौर पर भी इस डील से 80 हजार नौकरियां पैदा होंगी।
कितना बड़ा होगा चिप का बाजार
भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को तैयार करना, एआई, हाई परफॉरमेंस कम्प्यूटिंग और भविष्य की तकनीक पर एक साथ काम करना शामिल है। साल 2021 के मुकाबले वर्ष 2026 तक सेमीकंडक्टर के बाजार में सालाना 19 फीसद की बढ़ोतरी का अनुमान है।
ऐसे में सेमीकंडक्टर का बाजार 64 अरब डॉलर का हो जायेगा। ऐसे में चीन के हाथ से एक बड़ा अवसर निकलता हुआ दिखाई दे रहा है। लोबल मेमोरी और स्टोरेज चिपमेकर माइक्रोन टेक ने भारत में अरबों डॉलर के निवेश की घोषणा की है। अप्लायड मटीरियल्स ने भारत में सेमीकंक्टर सेंटर खोलने की घोषणा कर दी है।
माइक्रोन की तरफ से भारत में चिप निर्माण की यह घोषणा भारत के वैश्विक पटल पर उभरने और एक भरोसेमंद पार्टनर के तौर पर पहचाने जाने का प्रमाण है। माइक्रोन मुख्य तौर से स्मार्टफोन और पर्सनल कंप्यूटर के लिए चिप बनाती है।
फिलहाल, भारत में अभी चिप का निर्माण नहीं होता है, हां अभी हम केवल चिप की डिजाइनिंग करते हैं। अगले साल जब चिप बनना शुरू हो जाएगा, उसके बाद माइक्रोन निश्चित तौर पर दूसरे चरण का भी निवेश करेगी। यह तो फिलहाल एक शुरुआत है और जैसे-जैसे काम बढ़ेगा, वैसे-वैसे भारत में सेमीकंडक्टर का इकोसिस्टम भी तैयार होगा और भारत एक वैश्विक पार्टनर भी बनकर उभरेगा.
भारत सरकार कर रही इतना बड़ा निवेश
मीकंडक्टर के सप्लाई चेन में भारत सरकार ने भारतीय सेमीकंडक्टर(CHIP HUB) डिजाइन स्टार्ट-अप में निवेश करने के लिए 1,200 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत 23 सेमीकंडक्टर स्टार्ट-अप्स को भी पैसों की मंजूरी दी है।
सरकार का ध्यान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर्स (CHIP HUB) जैसे क्षेत्रों में डीपटेक स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने पर है, ताकि भविष्य की राह आसान हो सके।इसलिए, इस तरह के समझौतों से भारत में सेमीकंडक्टर-हब (CHIP HUB)बनने की जो क्षमता है, उसे पूरी करने का शायद समय अब आ रहा है।