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भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली शांत रात, LOC और IB पर कोई गोलीबारी नहीं

संघर्ष विराम के बाद पहली बार पूरी रात किसी भी सेक्टर में न गोलीबारी हुई, न ही कोई आक्रामक कार्रवाई।

by Reeta Rai Sagar
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जम्मू : भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा (International Border) के आसपास की रात शांति से बीती। सेना ने पुष्टि की है कि रविवार और सोमवार की दरमियानी रात किसी भी तरह की गोलीबारी या गोलाबारी की कोई घटना दर्ज नहीं की गई। यह 19 दिनों में पहली बार था, जब पूरी रात पूरी तरह शांत रही।

भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का असर जम्मू-कश्मीर में दिखाई दिया

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से नियंत्रण रेखा (Line of Control – LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) के विभिन्न सेक्टर में लगातार गोलीबारी और गोलाबारी की घटनाएं हो रही थीं।
23 अप्रैल से 6 मई तक हल्के हथियारों से फायरिंग की घटनाएं सामने आईं, जबकि 7 मई से 11 मई के बीच स्थिति और अधिक गंभीर हो गई। इस दौरान भारी तोपों से गोले दागे गए और हवाई हमलों तक की घटनाएं दर्ज की गईं।

लेकिन, 11 मई की रात एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आई, जब संघर्ष विराम के बाद पहली बार पूरी रात किसी भी सेक्टर में न गोलीबारी हुई, न ही कोई आक्रामक कार्रवाई।

LOC पर स्थिति सामान्य, ग्रामीणों को मिली राहत

भारतीय सेना के अनुसार, संघर्ष विराम के बाद से अब तक किसी भी प्रकार की सीमा पार से घुसपैठ या फायरिंग की कोई सूचना नहीं मिली है। जम्मू, पुंछ, राजौरी, कुपवाड़ा, बारामुला और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है।

स्थानीय निवासियों के लिए यह शांति की रात राहत लेकर आई है। पिछले 19 दिनों में बार-बार हुए गोलाबारी के चलते सीमावर्ती गांवों में दहशत का माहौल था और लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन को मजबूर थे।

संघर्षविराम समझौता : क्या आगे भी कायम रहेगी शांति

सेना के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच संपर्क हुआ था, जिसके बाद यह संघर्षविराम समझौता किया गया। यह समझौता सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में अगर दोनों पक्ष इस समझौते का पालन करते हैं, तो सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य जीवन बहाल हो सकता है और स्थानीय आबादी को सुरक्षा की भावना मिल सकती है।

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