लंदन : ब्रिटेन में उच्च शिक्षा से जुड़ी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय छात्रों को ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में आवेदन करने से रोका जा रहा है, जिससे शिक्षा संस्थानों के वित्तीय संकट में वृद्धि हो रही है। इस रिपोर्ट ने ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों के सामने एक नई चुनौती पेश की है, खासकर तब जब वे पहले से ही सीमित बजट और संसाधनों के संकट से जूझ रहे हैं।
भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट: 20.4 प्रतिशत की कमी
‘ऑफिस फॉर स्टूडेंट्स’ द्वारा शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारतीय छात्रों की संख्या में 20.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। अब ब्रिटेन में भारतीय छात्रों की संख्या 1,39,914 से घटकर 1,11,329 रह गई है। यह गिरावट एक ऐसे समय में आई है जब ब्रिटेन के विश्वविद्यालय पहले ही वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।
सुरक्षा चिंताओं और नौकरी की संभावनाओं की कमी
ब्रिटेन में भारतीय छात्र समूहों ने इस गिरावट का कारण सुरक्षा चिंताओं और नौकरी की संभावनाओं की कमी को बताया है। हाल ही में कुछ ब्रिटिश शहरों में आप्रवासन विरोधी दंगे भी हो चुके हैं, जिनकी वजह से भारतीय छात्रों के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ी है। ऑफिस फॉर स्टूडेंट्स’ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि, “कुछ प्रमुख देशों से ब्रिटेन में विदेशी छात्रों के वीजा आवेदन में महत्वपूर्ण गिरावट आई है।”
भारत और नाइजीरिया के छात्रों में सबसे बड़ी गिरावट
रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि भारत और नाइजीरिया जैसे देशों के छात्रों के लिए सीएएस (कॉंडिशनल एसेसमेंट लेटर) की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट आई है। भारतीय छात्रों के लिए सीएएस में 20.4 प्रतिशत और नाइजीरियाई छात्रों के लिए यह गिरावट 44.6 प्रतिशत रही है। रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि यह गिरावट उन विश्वविद्यालयों पर विशेष रूप से असर डाल सकती है, जो भारत, नाइजीरिया और बांग्लादेश जैसे देशों के छात्रों पर ज्यादा निर्भर हैं।
ब्रिटेन में छात्रों की संख्या पर असर: सरकार की पाबंदियां
‘इंडियन नेशनल स्टूडेंट्स एसोसिएशन’ (आईएनएसए) ब्रिटेन ने कहा कि भारत से छात्रों की संख्या में कमी देखी जा रही है, खासकर सरकार द्वारा विदेशी छात्रों को अपने आश्रित साझेदारों और जीवनसाथी को ब्रिटेन लाने की अनुमति न देने के बाद। आईएनएसए ने यह भी कहा कि उसे इस गिरावट में कोई हैरानी नहीं है, क्योंकि ब्रिटेन में विदेशी छात्रों के लिए पाबंदियां बढ़ने से ही यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
चिंताजनक स्थिति: विश्वविद्यालयों पर वित्तीय संकट का दबाव
ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों पर इस गिरावट का खासा असर पड़ने वाला है। अंतरराष्ट्रीय छात्रों के शुल्क से विश्वविद्यालयों को बड़ी मात्रा में वित्तीय सहायता मिलती है, और अगर यह गिरावट जारी रहती है, तो कई विश्वविद्यालयों को अपनी वित्तीय स्थिति संभालने में दिक्कत हो सकती है। रिपोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि वित्तीय मॉडल पर निर्भर विश्वविद्यालयों को इस गिरावट के कारण संकट का सामना करना पड़ सकता है, जो मुख्य रूप से भारत, नाइजीरिया और बांग्लादेश के छात्रों पर निर्भर हैं।
निष्कर्ष: ब्रिटेन में शिक्षा के लिए चुनौतियां बढ़ी
ब्रिटेन में भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट एक महत्वपूर्ण संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने में ब्रिटिश विश्वविद्यालयों को और अधिक कोशिश करनी होगी। खासकर ऐसे समय में जब आप्रवासन संबंधी चिंताएं और नौकरी की सीमित संभावनाएं छात्रों के लिए प्रमुख मुद्दे बन गए हैं।