सेंट्रल डेस्कः यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस एक ऐसा मंच है, जो राष्ट्रव्यापी स्कूली शिक्षा से संबंधित आंकड़ों को एकत्रित करता है। 2022-23 में, नामांकित छात्रों की कुल संख्या 25.17 करोड़ थी, लेकिन यह आंकड़ा 2023-24 में घटकर 24.80 करोड़ हो गया। इसके तहत 16 लाख लड़कियां और 21 लाख लड़कों की संख्या में कटौती देखी गई। अल्पसंख्यक छात्रों में कुल नामांकन का लगभग 20% शामिल था, जिसमें 79.6% मुस्लिम, 10% ईसाई, 6.9% सिख, 2.2% बौद्ध, 1.3% जैन और 0.1% पारसी शामिल थे।
राष्ट्रीय स्तर पर, UDISE+ के तहत नामांकित 26.9% छात्र सामान्य श्रेणी के थे, 18% अनुसूचित जाति से, 9.9% अनुसूचित जनजाति से और 45.2% अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी से थे।
UDISE+ 2023-24 प्रणाली स्टूडेंट वाइज डेटा कलेक्शन की भी जानकारी देता है, जिसमें आंकड़ों की सटीकता और विशिष्टता सुनिश्चित करने के लिये आधार संख्या को स्वैच्छिक रूप से जमा करनी होती है। 19.7 करोड़ से अधिक छात्रों ने अपने आधार विवरण प्रदान किए, जिससे ‘फर्जी छात्रों’ की पहचान करने में मदद मिली और सरकारी लाभों का बेहतर तरीके से आवंटन हुआ। अधिकारियों ने इस बात पर भी गौर किया है कि यह नया डेटा कलेक्शन का तरीका पिछले वर्षों में उपयोग किए जाने वाले स्कूली डेटा से अलग है।
नए सिस्टम का उद्देश्य एजुकेशन लैंडस्केप का एक रियलिस्टिक स्नैपशॉट पेश करना है, जिससे ड्रॉपआउट रेट और छात्र प्रगति की सटीक ट्रैकिंग की जा सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) के लक्ष्यों को पूरा करते हुए ड्रॉपआउट की पहचान करके, 2030 तक सार्वभौमिक शिक्षा प्राप्त करने की दिशा में कार्य करना।
रिपोर्ट में राज्यों में बुनियादी ढांचे के उपयोग में असमानताओं पर भी जोर डाला गया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम और ओडिशा जैसे राज्यों में नामांकित छात्रों की संख्या की तुलना में स्कूल अधिक हैं। इसके विपरीत तेलंगाना, पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में छात्रों की संख्या की तुलना में कम स्कूल है। डेटा कलेक्शन में हुए बदलाव के बाद शासन में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे देश भर में बेहतर शिक्षा की पहुंच बढ़ सके।