Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के महामंत्री विश्वम्भर यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री रामदास सोरेन से रांची में मुलाकात की। यह मुलाकात इंटरमीडिएट के शिक्षकों और कर्मचारियों की भविष्य की स्थिति को लेकर अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
क्या है ज्ञापन में?
महामंत्री विश्वम्भर यादव ने मंत्री सोरेन को सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से बताया कि राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों में वर्षों से इंटरमीडिएट स्तर पर कार्यरत शिक्षक एवं कर्मचारी आज बेरोजगारी के संकट से जूझ रहे हैं। सरकार द्वारा अचानक महाविद्यालयों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद किए जाने से इन लोगों के समक्ष भुखमरी, पारिवारिक विघटन और आर्थिक बदहाली जैसी भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है।
संवैधानिक अधिकारों की याद दिलाई
महासंघ की ओर से शिक्षा मंत्री से मांग की गई कि इन शिक्षकों एवं कर्मचारियों को राज्य के अन्य विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में उपलब्ध स्वीकृत रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए। उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 41 का हवाला देते हुए कहा कि यह राज्य को यह जिम्मेदारी देता है कि वह बेरोजगारी, वृद्धावस्था या अन्य कठिन परिस्थितियों में पड़े नागरिकों को रोजगार, शिक्षा और सार्वजनिक सहायता प्रदान करे।
यादव ने स्पष्ट किया कि इंटरमीडिएट के बंद होने के कारण न सिर्फ शिक्षकों की सेवा समाप्त हो रही है, बल्कि उनकी आजीविका और सामाजिक सुरक्षा पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल में ये थे शामिल
इस मुलाकात के दौरान महासंघ के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित थे। इनमें महासंघ के उपाध्यक्ष चैतन्य शिरोमणि, जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय शिक्षेकत्तर कर्मचारी संघ के कार्यकारिणी सदस्य नारायण नाग और जय किशोर प्रसाद प्रमुख रूप से शामिल थे। सभी ने एकजुट होकर शिक्षा मंत्री के समक्ष शिक्षकों और कर्मचारियों की पीड़ा और समस्याएं रखीं और समायोजन के लिए शीघ्र निर्णय की मांग की।