गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में रविवार को भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया और अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस दौरान भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर सारगर्भित चर्चा हुई। संगोष्ठी का उद्घाटन कुलपति पूनम टंडन ने किया। कुलपति ने कहा कि भोजपुरी केवल भाषा नहीं, यह हमारी संस्कृति, परंपरा और अस्मिता का प्रतीक है।
भोजपुरी गीतों में वह ताकत है,जो लोगों के दिलों को जोड़ सकती है: डॉ. सरिता बुधु
मुख्य अतिथि भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन मॉरीशस की पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता बुधु ने भोजपुरी भाषा को गायन की भाषा बताया। भावनाओं के रूप में इसे परिभाषित करते हुए उन्होंने ने कहा कि कहा कि भोजपुरी गीतों में वह ताकत है,जो लोगों के दिलों को जोड़ सकती है। उन्होंने भोजपुरी को मान्यता प्राप्त भाषा का दर्जा दिलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। मॉरीशस में भोजपुरी भाषा के प्रचार-प्रसार के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने विश्वविद्यालय में डायस्पोरा केंद्र खोलने के लिए कुलपति से अनुरोध भी किया। विशिष्ट अतिथि भाषा आयोग नेपाल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल ठाकुर ने भोजपुरी को साहित्यिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की अपील की। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
‘विदेसिया’ का हुआ मंचन
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. राकेश कुमार श्रीवास्तव ने भोजपुरी भाषा और संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। कहा कि भोजपुरी को न केवल संरक्षित करने की जरूरत है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास भी जरूरी है। कार्यक्रम में आदित्य कुमार बांसुल की पुस्तक का विमोचन हुआ। माटी के लाल सम्मान समारोह भी किया गया। सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक मानवेंद्र त्रिपाठी के निर्देशन में भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की अमर कृति ‘विदेसिया’ का मंचन हुआ।