यरूशलम : इस्राइल ने अमेरिका से 25 और एफ-35 लड़ाकू विमान खरीद पर मुहर लगा दी है। लॉकहीड मार्टिन निर्मित विमानों की इस खेप के साथ ही इस्राइली वायुसेना में एफ-35 विमानों की संख्या बढ़कर 75 हो जायेगी। अधिकारियों ने बताया कि इस सौदे में अमेरिका की तरफ से मिलने वाली वित्तीय मदद का इस्तेमाल किया जायेगा।
अमेरिका के बाहर इस्राइल पहला देश है, जिसे एफ-35 विमान दिये गये हैं। उत्पादन में शामिल अन्य अमेरिकी कंपनियों में विमान के इंजन के लिए कनेक्टिकट स्थित प्रैट एंड व्हिटनी शामिल है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि विमानों का वित्तपोषण अमेरिकी सैन्य सहायता से किया जा रहा है।
इस्राइल और अमेरिका ने 2016 में अमेरिकी सैन्य सहायता के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने वाले 10 साल के 38 बिलियन डॉलर के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। सहायता मुख्य रूप से अमेरिकी विदेशी सैन्य वित्तपोषण (एफएमएफ) कार्यक्रम और मिसाइल रक्षा प्रणालियों जैसी संयुक्त परियोजनाओं के वित्तपोषण में अमेरिकी रक्षा विभाग की हिस्सेदारी के माध्यम से आती है।
इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने रविवार को घोषणा की कि एफ-35 दुनिया का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान है और पश्चिम एशिया में इजराइल ही ऐसा देश है जिसके पास ये लड़ाकू विमान हैं। तीन अरब डॉलर के इस सौदे को आगामी महीनों में अंतिम रूप दिया जाएगा।
इसके साथ ही इजराइल के एफ-35 विमानों का बेड़ा 50 से बढ़कर 75 हो जाएगा। मंत्रालय के अनुसार, इस सौदे को इजराइल को अमेरिकी सैन्य सहायता के जरिए वित्त पोषित किया जाएगा और विमान के निर्माता लॉकहीड मार्टिन तथा उसके इंजन के निर्माता प्रैट एंड व्हिटनी ने उत्पादन प्रक्रिया में इजराइली कंपनियों को शामिल करने की प्रतिबद्धता जतायी है।
इजरायल के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि नया समझौता विमान के पुर्जों के उत्पादन में अमेरिकी कंपनियों और इजराइली रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग की निरंतरता सुनिश्चित करेगा। इजराइल ने अपने शस्त्रागार में वृद्धि करने की यह घोषणा ऐसे समय में की है जब इजराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है।
ईरान को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानने वाले इजराइल ने ईरानी ड्रोनों को गिराने में भी पहले एफ-35 विमानों का इस्तेमाल किया था और उसने ईरान के परमाणु ठिकानों पर लंबी दूरी के हमले करने की धमकी भी दी है। वह ईरान पर परमाणु हथियार विकसित करने का आरोप लगाता है। हालांकि, ईरान इन आरोपों को खारिज करता है।