नई दिल्ली : इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव ने गुरुवार रात एक नया मोड़ ले लिया, जब इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त हवाई हमले किए। इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ (Operation Rising Lion) नाम दिया गया है। हमले में ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी और एक प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक की मौत हो गई है। यह इजरायल की ओर से अब तक की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है।
इजरायल को था हमले का खतरा
इजरायल ने दावा किया है कि उसे खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली थी कि ईरान उस पर बड़े पैमाने पर हमला करने की तैयारी में है। इसके अलावा, इजरायली अधिकारियों का कहना है कि ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका था और उसके पास कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम तैयार करने की क्षमता थी। इसी आशंका के चलते इजरायल ने यह निर्णायक कदम उठाया।
नेतन्याहू ने कहा – यह आत्मरक्षा का कदम
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले के बाद बयान देते हुए कहा, ‘ईरान का उद्देश्य इजरायल को खत्म करना है। हमने यह कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत की है और जब तक हमारा मिशन पूरा नहीं होता, हमारी कार्रवाई जारी रहेगी’। उन्होंने आगे कहा कि इजरायल अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए हरसंभव उपाय कर रहा है और किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देगा।
सैन्य प्रमुख की चेतावनी : हर सीमा पर हैं तैयार
इजरायली सेना के प्रमुख ने कहा कि देश अब अपनी सभी सीमाओं पर अलर्ट पर है और किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘जो कोई भी इजरायल को चुनौती देगा, उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी’।
अमेरिका ने खुद को किया अलग
इस हमले के तुरंत बाद अमेरिका ने खुद को इस सैन्य कार्रवाई से अलग कर लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बयान जारी करते हुए कहा, आज रात इजरायल ने ईरान पर एकतरफा कार्रवाई की है। इसमें अमेरिका का कोई हाथ नहीं है। हमारी प्राथमिकता क्षेत्र में तैनात अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
क्षेत्र में तनाव चरम पर
इस कार्रवाई के बाद पश्चिम एशिया में तनाव और अधिक बढ़ने की आशंका है। ईरान की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान इस हमले का जवाब दे सकता है, जिससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलने का खतरा बढ़ गया है।
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