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31 साल से जेल में बंद व खाये 154 कोड़े… जानिए नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस के बारे में सबकुछ

by Rakesh Pandey
Narges Mohammadi
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ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न की लड़ाई लड़ने वाली पत्रकार और एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी को नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया है। नरगिस महिलाओं की हक की लड़ाई के लिए 13 बार गिरफ्तार हुईं। 31 साल की जेल हुई और उन्हें 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई। ईरान में उनको सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गिरफ्तार किया गया। वर्तमान में वो जेल में हैं।

कैदियों के दर्द पर जेल में ही लिख डाली किताब

महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए आवाज उठाने वाली नरगिस ने किताब भी लिखी है जिसका नाम है- व्हाइट टॉर्चर। जेल में रहते हुए उन्होंने कैदियों का जो दर्द महसूस किया उसे किताब में दर्ज किया। कैदियों के अनुभवों को दर्ज करने वाली किताब और महिलाओं की आवाज उठाने के लिए उन्हें 2022 में उन्हें रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के साहस पुरस्कार से भी नवाजा गया। नोबेल की कमेटी ने माना है कि नरगिस मोहम्मदी ने महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए आवाज उठाई है। उन्होंने ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लंबे समय तक लड़ाई लड़ी है।

कौन हैं ईरान की नरगिस मोहम्‍मदी?

नरगिस का जन्म कुर्दिस्तान ईरान के जंजन शहर में 21 अप्रैल 1972 में हुआ था। नोबेल प्राइज की वेबसाइट के मुताबिक, नरगिस मोहम्मदी ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता और डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की उपाध्यक्ष हैं। ईरान में महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए आवाज उठाने वाली नरगिस मोहम्मदी को बहादुरी भरे संघर्ष के लिए भारी व्यक्तिगत कीमत चुकानी पड़ी है।

उन्हें अब तक ईरान में 13 बार गिरफ्तार किया जा चुका है, फिलहाल वह जेल में बंद हैं। उन्हें पांच बार दोषी ठहराया जा चुका है और उन्हें 31 साल की जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई है। पढ़ाई पूरी करने के बाद नरगिस मोहम्‍मदी ने इंजीनियर के तौर पर काम किया। इसके साथ साथ वह कॉलमनिस्ट भी रहीं। उन्होंने कई अखबारों के लिए लिखने का काम किया। 1990 के दशक से ही नरगिस महिलाओं के हक के लिए आवाज उठा रही थीं।

महिला के उत्पीड़न के खिलाफ उठायी आवाज

ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न की लड़ाई लड़ने वाली पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। नोबेल की समिति ने कहा कि नरगिस ने महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए आवाज उठाई, जिसके लिए वो 13 बार गिरफ्तार भी हुईं। वर्तमान में नरगिस ईरान की एक जेल में बंद हैं।

जब भाई को हुई फांसी, तो मृत्युदंड को खत्म करने के लिए आवाज उठाने का लिया फैसला

नरगिस  के पिता एक किसान थे और मां राजनीतिक परिवार से थीं। 1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद उनके चाचा और 2 चचेरे भाईयों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। नरगिस ने न्यूक्लियर फिजिक्स की पढ़ाई की है और कुछ समय के लिए बतौर इंजीनियर काम भी किया है। एक इंटरव्यू में नरगिस ने कहा था कि जब वे 9 साल की थीं, तब उनके चचेरे भाईयों को जेल में डाल दिया गया था।ईरानी सरकार रोज किसी कैदी को फांसी देती थी, जिसका नाम टीवी पर बताया जाता था। एक दिन टीवी पर उनके भाई का नाम भी बताया गया, जिसे सुनकर उनकी मां बेहोश हो गईं। इस घटना ने नरगिस को झकझोर दिया और उन्होंने मुत्यूदंड को खत्म करने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया।

ईरान सरकार के प्रताड़ना से पति और बच्चों को छोड़ना पड़ा देश

पढ़ाई के दौरान नरगिस की मुलाकात ताघी रहमानी से हुई। ताघी ईरान के बौद्धिक जगत में काफी प्रसिद्ध थे। बाद में नरगिस ने ताघी से शादी कर ली और दोनों तेहरान में रहने लगे। दोनों के जुड़वां बच्चे भी हैं। इस दौरान नरगिस अखबारों में लेख लिखने लगीं। सरकार की प्रताड़ना की वजह से नरगिस के पति ने दोनों बच्चों के साथ देश छोड़ दिया और वर्तमान में फ्रांस में निर्वासित जीवन जी रहे हैं।

इस कारण नरगिस को जाना पड़ा जेल

नरगिस को महिलाओं के अधिकारों, मृत्युदंड के उंमूलन और ईरान के अंदर जेल की स्थिति में सुधार के लिए चलाए गए अभियान के लिए जाना जाता है। 2000 के दशक में नरगिस नोबेल शांति पुरस्कार विजेता रहीं ईरानी वकील शिरीन एबादी द्वारा स्थापित ‘सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स’ से जुड़ गईं। 2008 में सरकार ने नरगिस को परेशान करने के इरादे से उन्हें इंजीनियर की नौकरी से निकलवा दिया था।

122 साल बाद जेल में बंद किसी व्यक्ति को मिला यह पुरस्कार

उन्होंने ईरान में सामाजिक सुधारों के लिए बहस करते हुए कई लेख लिखे हैं। नरगिस ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम व्हाइट टॉर्चर है। उनकी किताब व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मानवाधिकार फोरम में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के लिए एक पुरस्कार भी जीता। मोहम्मदी नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला हैं और 2003 में शिरीन एबादी के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली दूसरी ईरानी महिला हैं। बता दें कि 122 साल के इतिहास में यह पांचवीं बार है , जब शांति पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो जेल में है या फिर घर में नजरबंद है।

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आठ साल से अपने बच्चों को नहीं देखा

ईरान ने उनको सरकार के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। एक इंटरव्यू में नरगिस बता चुकी हैं कि वे लंबे समय से अपने परिवार के कई सदस्यों से नहीं मिली है। हैरान करने वाली बात ये है कि उन्होंने 8 साल से अपने बच्चों को देखा तक नहीं है। उन्होंने आखिरी बार अपनी जुड़वां बेटियों अली और कियाना की आवाज एक साल पहले सुनी थी। नरगिस दोनों बेटियां उनके पति तागी रहमानी के साथ फ्रांस में रहती हैं। नरगिस मोहम्मदी के पति तागी भी एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं। जिन्हें ईरान की सरकार ने 14 साल जेल की सजा दी थी। बताते चलें कि नरगिस मोहम्मदी ईरान में मृत्यु दंड को खत्म करने और कैदियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए वकील और पैरोकार भी रही हैं।

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