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प्रतिकूलताओं में भी धैर्य बना रहे, यही भक्ति का प्रतिफल- पंडित विवेक महाराज

by The Photon News Desk
Jamshedpur Bhagwat Katha
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जमशेदपुर।Jamshedpur Bhagwat Katha:  भुइयाडीह स्लैग रोड़ स्थित नीतिबाग कॉलोनी में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवें दिन बुधवार को कथावाचक आचार्य बालव्यास पंडित विवेक महाराज ने श्रीकृष्ण बाल लीला, छप्पन भोग, माखन चोरी एवं गोवर्धन पूजा प्रसंग का कथा में वर्णन किया।

कथाव्यास की वाणी से बाल कृष्ण की अनेकों बाल लीलाओं का वर्णन सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होने कहा कि जो दूसरो को आनंद दे वह नंद और जो यश का दान करे वह यशोदा है।

Jamshedpur Bhagwat Katha

हमारे चेहरे की मुस्कुराहट बनी रहे, यही हमें ब्रजवासियों से सीख लेनी चाहिए। कथावाचक ने कहा कि भक्ति और भक्त की परीक्षा प्रतिकूलताओं में ही होती है। अनुकूलता में तो सभी मुस्कुराते हैं, मगर प्रतिकूलता में भी हमारा आत्मबल बना रहना चाहिए।

महाराज ने कहा कि गौकुल में श्रीकृष्ण के पर्दापण के साथ ही लक्ष्मी का वास ब्रज में हो गया। बुधवार को मुख्य याज़मान गोविन्द राम सरोज और सुनीता सरोज थे। इस अवसर पर प्रमुख रूप से श्रीराम सरोज अधिवक्ता, हरिओम सरोज, आकाश पाठक, मनोज शर्मा, विकाश शर्मा, संजय ठाकुर, रामेश्वर सिंह, विक्रम ठाकुर, अमृता अग्रवाल सहित काफी संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित थे।

Jamshedpur Bhagwat Katha : क्राेध जैसे विकाराें काे नष्ट करते हैं कन्हैया

उन्होने लक्ष्मी जी के महत्व को समझाते हुए कहा कि हम यदि परमात्मा की और जाएगे तो लक्ष्मी हमे निश्चित प्रभु के साथ कृपा प्रदान करेगी। महाराज ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन के दौरान मटकी फोड़ प्रसंग सुनाते हुए गोकुल की मटकी फोड़ का स्मरण कराया।

उन्होंने कहा कि यदि भगवान के भक्तों में विकार आ जाता हैं तो वे अपने भक्तों की रक्षा को उसके अहंकार के अंकुर को नष्ट कर देते हैं। इंद्रदेव का उदाहरण दिया और कहा एक बार उन्हें अहंकार हो गया था, तब श्री कृष्ण ने मार्ग दर्शन कर इंद्र की पूजा न कराकर गिरिराज की पूजा कराई थी।

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वही माखन चोरी के प्रसंग में बताया कि प्रभु माखन इसलिए खाते थे माखन माख और न से बना हैं। इसमें माख का अर्थ क्रोध तथा न का अर्थ नहीं है। अर्थात जो क्रोधादि विकारों से रहित है वह कन्हैया को अत्यंत प्रिय हैं।

Jamshedpur Bhagwat Katha : छप्पन भाेग का कराया दर्शन

उन्होंने कहा कि कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। कथा व्यास ने गोवर्धन पूजा एवं इन्द्र के मान मर्दन की कथा का विस्तार से वर्णन किया।

इस अवसर पर भगवान गिरिराज महाराज के समक्ष सुंदर छप्पन भोग के दर्शन कराए गए। आरती के पश्चात सभी को छप्पन भोग का दिव्य प्रसाद वितरित कराया गया। छठवें दिन गुरूवार को महाराज श्री कृष्ण-स्कमणी विवाह, रास पंचांग अध्याय, गोपी उद्धव संवाद कथा का प्रसंग सुनायेंगे।

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