Jamshedpur (Jharkhand) : पूर्वी सिंहभूम जिले में अपनी मांगों को लेकर विस्थापित ग्रामीणों का आक्रोश एक बार फिर देखने को मिला। मंगलवार को मिर्जाडीह बांध से विस्थापित सैकड़ों ग्रामीणों ने हाथ में तख्तियां और पारंपरिक हथियार लेकर जिला उपायुक्त (DC) कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन मिर्जाडीह बांध विस्थापित और रैयत संघर्ष मोर्चा के बैनर तले हुआ, जिसमें 21 गांवों के ग्राम प्रधान, मुखिया और अन्य ग्रामीण शामिल थे।
पैदल मार्च और प्रशासन व राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी
प्रदर्शनकारियों ने डिमना चौक से जिला मुख्यालय तक पैदल मार्च करते हुए राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि राजकीय शोक के दौरान टाटा कंपनी और जिला प्रशासन की मिलीभगत से रैयतों के घर तोड़े गए, जिससे यह साबित होता है कि सरकार और प्रशासन टाटा के इशारों पर काम कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर 30 दिनों के भीतर उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती है, तो वे आंदोलन को और अधिक उग्र बनाएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार मूलवासियों का दमन हो रहा है और उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है।
प्रदर्शनकारियों की पांच सूत्री मांगें
- मिर्जाडीह रैयतों के घर तोड़ने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
- सभी विस्थापित गांवों में तत्काल सड़क का निर्माण कराया जाए।
- विस्थापितों को विस्थापन प्रमाण पत्र दिया जाए।
- टाटा लीज नवीनीकरण समिति में विस्थापित समुदाय के प्रतिनिधि को शामिल किया जाए।
- विस्थापितों को मुआवजा और पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाए।
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