Jamshedpur Education : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी की बीएड सेकंड सेमेस्टर की छात्राओं को जमशेदपुर से दूर पोटका, पटमदा और अन्य प्रखंडों के स्कूलों का आवंटन इंटर्नशिप के लिए कर दिया गया है। इससे छात्राओं में नाराजगी है। उनका कहना है कि एक तो दूर दराज गांवों के स्कूलों से आने जाने में दिक्कत होगी तो सुरक्षा का भी मसला है। यही नहीं, कई ऐसे गांव हैं जहां छात्राओं को पहुंचने के लिए परिवहन की भी दिक्कत है।
गुरुवार को यह छात्राएं उपायुक्त कार्यालय पहुंचीं और अपनी इंटर्नशिप सेंटर से जुड़ी समस्याओं को लेकर शिकायत दर्ज कराई। छात्राओं ने प्रशासन से मांग की कि उन्हें बहुत दूर-दराज के स्कूलों में इंटर्नशिप के लिए भेजा जा रहा है, जो व्यवहारिक रूप से उचित नहीं है। उन्हें रोज दूरदराज ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में आने जाने में दिक्कत होगी। छात्राओं की सुरक्षा का भी सवाल है।
40 से 60 किलोमीटर दूर तक भेजी जा रही हैं छात्राएं
छात्राओं का कहना है कि कुछ को 40 किलोमीटर, तो कुछ को 60 किलोमीटर दूर स्थित स्कूलों में इंटर्नशिप के लिए भेजा गया है। इससे न सिर्फ यात्रा में समय की बर्बादी होगी, बल्कि ट्रैवल खर्च भी अत्यधिक आएगा। इसके अलावा, कई छात्राओं ने सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई है। बर्मामाइंस की प्रिया साहू ने बताया कि वह बर्मामाइंस की रहने वाली है। उसे जो स्कूल दिया गया है वह कई किलोमीटर दूर पोटका में है। इस वजह से वह चाहती है कि नजदीक का स्कूल इंटर्नशिप के लिए दिया जाए। प्रिया साहू का कहना है कि अगर इंटर्नशिप का स्कूल 15 किलोमीटर दूर भी होगा तब भी चलेगा। एक अन्य छात्रा रिया का कहना है कि छात्राओं को काफी दूर भेजना ठीक नहीं है। उन्हें उनके आवास से सात किलोमीटर के दायरे में ही इंटर्नशिप के लिए स्कूल आवंटित करना चाहिए। रिया का कहना है कि दूर स्कूल आवंटित किए जाने से उन्हें काफी दिक्कत हो रही है। सुरक्षा के साथ ही आर्थिक मसले को भी खड़े हो रहे हैं।
प्रशासन से लगाई गुहार
छात्राओं ने उपायुक्त से आग्रह किया कि उन्हें शहर के अंदर या आसपास के स्कूलों में ही इंटर्नशिप करने की अनुमति दी जाए। उनका कहना है कि इंटर्नशिप का उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण है, न कि घंटों सफर करना। ऐसे में अगर इंटर्नशिप सेंटर पास में होगा तो वे ज्यादा ध्यानपूर्वक और सुरक्षित तरीके से इस प्रक्रिया में भाग ले सकेंगी।
आंदोलन की चेतावनी
छात्राओं ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होंगी। उन्होंने कहा कि यह केवल उनका व्यक्तिगत मुद्दा नहीं, बल्कि सभी बीएड छात्राओं की सामूहिक समस्या है।