• बांग्लाभाषी छात्रों के भविष्य पर सवाल, सरकार पर उपेक्षा का आरोप
Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड में बांग्लाभाषी समुदाय ने राज्य सरकार पर अपनी भाषा और संस्कृति की उपेक्षा करने का गंभीर आरोप लगाया है। हाल ही में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन द्वारा दिए गए एक बयान ने इस आक्रोश को और भड़का दिया है, जिसके बाद समुदाय ने आंदोलन तेज कर दिया है। मंत्री ने कथित तौर पर कहा था कि सरकार पहले छात्रों को लाएगी, उसके बाद ही उन्हें पुस्तकें और शिक्षक उपलब्ध कराए जाएंगे। इस बयान को बंग समाज ने अपनी भावनाओं का अपमान बताया है।
झारखंड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति के जिला महासचिव जूरान मुखर्जी और अध्यक्ष अचिंतम गुप्ता ने शिक्षा मंत्री के इस बयान की कड़ी शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह बयान राज्य सरकार की बांग्ला भाषा के प्रति उदासीन रवैये को दर्शाता है। इसी विरोध में बुधवार को बंग समाज के लोगों ने पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय पर एकजुट होकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में अपनी मांगों के प्लेकार्ड लिए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस दौरान समिति के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बांग्लाभाषी समुदाय की समस्याओं और मांगों पर ध्यान देने का आग्रह किया गया।
जूरान मुखर्जी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश के 16 जिलों के स्कूलों में हजारों की संख्या में बांग्लाभाषी छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन इन स्कूलों में बांग्ला की पुस्तकों और शिक्षकों की भारी कमी है। इस वजह से बांग्लाभाषी बच्चों की शिक्षा और उनकी सांस्कृतिक पहचान पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।
समिति ने सरकार से पुरजोर मांग की है कि राज्य के स्कूलों में तत्काल बांग्ला भाषा की पढ़ाई शुरू की जाए, छात्रों के लिए पर्याप्त संख्या में बांग्ला की किताबें और योग्य शिक्षक उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही, बांग्ला भाषा से संबंधित मामलों पर प्रभावी निर्णय लेने के लिए एक बांग्ला भाषा बोर्ड का गठन भी किया जाए।
बंग समाज ने अपने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया है। आंदोलन के अगले चरण में, 19 मई को असम के भाषा शहीद दिवस के अवसर पर धनबाद से एक व्यापक बांग्ला जनजागरण अभियान शुरू किया जाएगा। बांग्लाभाषी समाज ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक उनकी न्यायपूर्ण मांगें पूरी नहीं की जातीं, उनका आंदोलन शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ता से जारी रहेगा।