Jamshedpur News : रविवार को टाटा मोटर्स की कान्वाय बुकिंग व्यवस्था बंद रही, लेकिन कंपनी के खिलाफ चल रहा प्रोटेस्ट लगातार जारी है। यह विरोध अब कार्य अधिकार के लिए एक निर्णायक मोड़ ले चुका है, जिसकी मिसाल बीते 50 वर्षों में देखने को नहीं मिली थी।
जमशेदपुर में चल रहे इस धरने को पहले किसी ने गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन आज यह आंदोलन टाटा मोटर्स के खिलाफ मजदूरों की आवाज़ बन चुका है। धरना दे रहे लोगों का कहना है कि टाटा मोटर्स देश भर में अपने वाहनों को बेचने के लिए कार्यालय स्थापित करती है, लेकिन वहां काम कर रहे कान्वाय चालकों को न तो स्थायी नौकरी दी जाती है और न ही उचित सुविधाएं।
कंपनी की जगह ट्रांसपोर्टर्स और उनकी यूनियन TTCA को आगे रखकर, केवल 370 रुपये में ड्राइवरों से काम करवाया जाता है, जबकि कानून के तहत उन्हें वेतन, बोनस, पीएफ, और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया में कई नेता और सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं, जिससे भ्रष्टाचार को बल मिल रहा है।
धरना दे रहे लोगों की प्रमुख मांग है कि न्यूनतम मजदूरी, बीमा, बोनस, ओवर टाइम और बैंक भुगतान जैसे मुद्दों पर कार्रवाई हो। इसके अलावा, कान्वाई चालकों को टाटा मोटर्स का स्थायी मजदूर माना जाए और वर्ष 1970 से उनकी भविष्य निधि लागू की जाए।
यह मामला अब रांची हाईकोर्ट , औद्योगिक ट्रिब्यूनल और पीएफ कोर्ट में लंबित है। धरना की अगुवाई ज्ञान सागर प्रसाद, निर्मल सिंह, उमेश प्रसाद, हरिशंकर प्रसाद, त्रिलोकी चौधरी, एन रामचंद्र राव और धर्मेंद्र प्रसाद कर रहे हैं, जो टाटा मोटर्स के कान्वाई चालकों के नेता हैं।