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Jharkhand EX MP’s book : झारखंड आंदोलनकारी शैलेंद्र महतो की पांचवीं पुस्तक ‘सृष्टि और धर्म’ प्रकाशित

by Mujtaba Haider Rizvi
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Jamshedpur : झारखंड आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व सांसद और लेखक शैलेंद्र महतो की नई पुस्तक ‘सृष्टि और धर्म’ प्रकाशित हो गई है। यह उनकी पांचवीं पुस्तक है, जो इस बार आध्यात्मिक सोच और मानवीय मूल्यों पर केंद्रित है।

शैलेंद्र महतो ने इससे पहले झारखंड पर केंद्रित चार महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पहली पुस्तक थी ‘झारखंड राज्य और उपेक्षितवर्ग’, जिसमें झारखंड आंदोलन की सामाजिक नींव को रेखांकित किया गया था। इसके बाद राज्य बनने के बाद उन्होंने ‘झारखंड की समरगाथा’ लिखी, जो काफी लोकप्रिय रही। इस पुस्तक का अंग्रेज़ी अनुवाद ‘Journey of Jharkhand Movement’ भी प्रकाशित हुआ। तीसरी पुस्तक ‘झारखंड में विवादों का इतिहास’ में उन्होंने राज्य की राजनीतिक और सामाजिक उठापटक का विश्लेषण किया।

इन प्रमाणिक लेखों के बाद शैलेंद्र महतो का रुझान अध्यात्म की ओर बढ़ा। इसी दिशा में उन्होंने अपनी नई कृति ‘सृष्टि और धर्म’ को आकार दिया है, जो मानव जीवन की उत्पत्ति और धर्म की भूमिका पर विचार प्रस्तुत करती है।

शैलेंद्र महतो का जन्म 11 अक्टूबर 1953 को अविभाजित सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर थाना अंतर्गत सेताहाका गांव में हुआ था। उनका बचपन से ही अध्यात्म की ओर झुकाव रहा, और वे साधु-संत बनने की इच्छा रखते थे। उन्होंने देश के कई धार्मिक स्थलों की यात्रा की और साधुओं से संपर्क साधा, लेकिन भाग्य ने उन्हें सामाजिक आंदोलन का मार्ग दिखाया।

वे मात्र 20 वर्ष की उम्र में झारखंड आंदोलन से जुड़ गए और झारखंड मुक्ति मोर्चा का हिस्सा बने। 25 नवम्बर 1978 को आंदोलन के दौरान सेरेंगदा में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने ‘सिंहभूम एकता’ नामक साप्ताहिक पत्रिका के माध्यम से पत्रकारिता की शुरुआत की।

निर्मल महतो की हत्या के बाद वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव बने। 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने रांची में आयोजित एक जनसभा में उन्हें भाजपा में शामिल कराया। वे झारखंड विषयक समिति के सदस्य भी रहे और राजीव गांधी सरकार से आंदोलन पर वार्ता में शामिल हुए।

1989 और 1991 में चुनाव जीत कर शैलेंद्र महतो झामुमो से जमशेदपुर के सांसद रहे। उनकी पत्नी आभा महतो भी 1998 और 1999 में दो बार भाजपा से सांसद चुनी गईं। समय के साथ उन्होंने सक्रिय राजनीति से धीरे-धीरे दूरी बना ली और लेखन को अपना मुख्य माध्यम बनाया। ‘सृष्टि और धर्म’ के रूप में उनकी लेखनी का नया अध्याय उनके जीवन के आध्यात्मिक पक्ष को सामने लाता है।

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