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Janmashtami 2025 Date and Time : श्रीकृष्ण जन्मोत्सव कल, जानें व्रत रखने और पूजन का सही समय : Janmashtami Vrat Vidhi

by Rakesh Pandey
Janmashtami 2025 Date and Time
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Janmashtami 2025 Date and Time : जमशेदपुर : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2025) का पावन पर्व इस वर्ष 16 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। यह तिथि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के संयोग में मध्यरात्रि को हुआ था। हालांकि इस वर्ष अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र अलग-अलग दिन पड़ रहे हैं, लेकिन उदयातिथि के अनुसार जन्माष्टमी 16 अगस्त को ही मनाई जाएगी।

Janmashtami 2025 : अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग

अष्टमी तिथि प्रारंभ : 15 अगस्त 2025, रात 11.49 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त : 16 अगस्त 2025, रात 09.34 बजे

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ : 17 अगस्त 2025, सुबह 04.38 बजे

रोहिणी नक्षत्र समाप्त : 18 अगस्त 2025, सुबह 03.17 बजे

इस वर्ष अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग एक साथ नहीं बन रहा है, इसलिए जन्माष्टमी अष्टमी तिथि के अनुसार ही मनाई जाएगी।

Janmashtami 2025 Chandrodaya Time (चंद्रोदय समय)

चंद्रोदय : 16 अगस्त 2025 को रात 11.32 बजे

जन्माष्टमी व्रत रखने वाले भक्त चंद्रोदय के समय श्रीकृष्ण जन्म का प्रतीकात्मक दर्शन करते हैं और व्रत का पारण अगले दिन करते हैं।

मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन में कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी

मथुरा, वृंदावन और इस्कॉन मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त 2025 को ही धूमधाम से मनाया जाएगा।
इन स्थलों पर विशेष झांकियां, रासलीला, कीर्तन और मिडनाइट जन्म उत्सव का आयोजन होगा।

Janmashtami 2025 Vrat Vidhi (व्रत और पूजन विधि)

व्रत का संकल्प सुबह स्नान कर श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए लें।

दिनभर निर्जला या फलाहार व्रत रखें।

शाम को मंदिर या घर में भगवान कृष्ण की मूर्ति को झूले में रखें।

मध्यरात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म का विशेष पूजन करें।

पंचामृत से अभिषेक, वस्त्र अर्पण, तुलसी दल, माखन-मिश्री, फल, और धूप-दीप से आरती करें।

चंद्रोदय के बाद प्रसाद वितरण कर व्रत का पारण करें।

Janmashtami 2025 : विशेष योग और धार्मिक महत्व

हालांकि इस वर्ष जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं है, फिर भी अष्टमी तिथि पर पड़ने के कारण यह तिथि जन्माष्टमी के लिए श्रेष्ठ मानी गई है।भक्तों का विश्वास है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से संतान सुख, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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