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JDU LEADERS LEFT PARTY : बिहार में वक्फ बिल पर JDU में बवाल, 4 मुस्लिम नेताओं ने छोड़ा नीतीश कुमार का साथ

इन नेताओं का आरोप है कि पार्टी ने वक्फ विधेयक के पक्ष में वोट किया, जो मुस्लिम समाज के हितों के खिलाफ है।

by Rakesh Pandey
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पटना : राज्यसभा में वक्फ बिल के पास होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में बवाल मच गया है। पार्टी के चार मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। हालांकि, जदयू ने इन नेताओं के पार्टी से जुड़े होने से इन्कार किया है।

कौन हैं इस्तीफा देने वाले नेता

इस्तीफा देने वालों में प्रमुख नाम जदयू, अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश सचिव मो. नवाज मलिक, पूर्वी चंपारण के कासिम अंसारी, शहनवाज आलम (अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्यक्ष) और मोहम्मद तबरेज़ सिद्दीकी अलीग हैं। इन नेताओं का आरोप है कि पार्टी ने वक्फ विधेयक के पक्ष में वोट किया, जो मुस्लिम समाज के हितों के खिलाफ है। इसके बाद इन नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा देने का फैसला किया।

जदयू का इन्कार

जदयू ने इन नेताओं के पार्टी से जुड़े होने से इन्कार किया है। पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, ‘न तो कासिम अंसारी और न ही नवाज मलिक पार्टी के आधिकारिक पदाधिकारी हैं’। उन्होंने कहा कि ये लोग पार्टी के लिए कोई विशेष भूमिका नहीं निभा रहे थे और इस्तीफे का मामला महज एक व्यक्तिगत निर्णय है।

नेताओं का आरोप : विश्वासघात

इस्तीफा देने वाले नेताओं का कहना है कि जदयू ने मुस्लिम समुदाय के साथ विश्वासघात किया है। मोहम्मद तबरेज़ सिद्दीकी अलीग ने कहा, ‘जिन मुस्लिम समर्थकों ने पिछले 19 वर्षों में जदयू का समर्थन किया, अब वही पार्टी उनके खिलाफ खड़ी हो गई है। यह मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा है’। उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले का असर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दिखेगा।

नारा- ‘धर्मनिरपेक्षता को तोड़ा’

इस्तीफा देने वाले नेताओं ने इस बात पर भी गहरी नाराजगी जताई कि जदयू ने वक्फ विधेयक का समर्थन किया, जबकि पार्टी का दावा था कि वह धर्मनिरपेक्ष राजनीति करती है। कासिम अंसारी ने कहा, ‘पार्टी ने लाखों भारतीय मुसलमानों का विश्वास तोड़ा है। हमें लगता था कि जदयू धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को बरकरार रखेगी, लेकिन अब ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से मैं पार्टी छोड़ रहा हूं’।

आने वाला राजनीतिक असर

यह घटनाक्रम जदयू के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, खासकर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर। पार्टी के भीतर नेताओं के इस्तीफे और मुस्लिम समाज की नाराजगी का असर चुनावी मैदान में महसूस किया जा सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी की छवि को कैसे संभालते हैं और मुस्लिम वोटरों को कैसे अपने पक्ष में लाते हैं।

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