रांची : झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के प्रभावशाली नेतृत्व ने पार्टी को इंडिया गठबंधन के तहत लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की दिशा में अग्रसर किया है। विपक्षी दल भाजपा (BJP) ने सोरेन दंपति पर कटाक्ष करते हुए उन्हें ‘बंटी और बबली’ की जोड़ी कहा था, लेकिन इस जोड़ी ने आलोचनाओं का करारा जवाब देते हुए राज्य में झामुमो को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।
हेमंत और कल्पना सोरेन : नेतृत्व में सामूहिक प्रयास
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने चुनावी रण में जोरदार रणनीति के तहत करीब 200 रैलियां कीं। कल्पना ने इस साल की शुरुआत में अपने पति की गिरफ्तारी के बाद राजनीति में कदम रखा और एक मजबूत नेतृत्व दिखाया। चुनाव परिणाम अभी पूरी तरह से घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन झामुमो के कार्यकर्ता उत्साह से झूम रहे हैं। निर्वाचन आयोग की ताजा जानकारी के मुताबिक, झामुमो ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 4 सीटों पर जीत हासिल की है और 30 सीटों पर पार्टी बढ़त बनाए हुए है।
भाजपा से टक्कर में मजबूत स्थिति
इस सफलता में कई मुश्किलें भी थीं। दो झामुमो विधायक, नलिन सोरेन और जोबा माझी, ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। साथ ही, प्रमुख नेता जैसे सीता सोरेन, चंपई सोरेन, और लोबिन हेम्ब्रोम ने भाजपा का दामन थामा। फिर भी, हेमंत सोरेन और कल्पना ने सबको एकजुट करते हुए पार्टी को सशक्त बनाया। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की जोड़ी ने आदिवासी समुदायों के बीच गहरी पैठ बनाई, और उनकी यह कोशिश रंग लाई, क्योंकि भाजपा इसके बावजूद सरकार बनाने में नाकाम रही।
आदिवासी समुदाय के बीच प्रभाव
यदि झामुमो सत्ता में लौटता है, तो यह आदिवासी समुदाय में सोरेन के प्रभाव का संकेत होगा। विशेष रूप से, भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद, उन्होंने आदिवासियों को गोलबंद किया और सत्ता विरोधी लहर के बावजूद सफलता पाई। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि हेमंत और कल्पना सोरेन दोनों ने आदिवासी मतदाताओं के बीच सहानुभूति का माहौल तैयार किया। इसके परिणामस्वरूप, भाजपा के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने झामुमो के खिलाफ कई रैलियां कीं, लेकिन वे उसे मात देने में नाकाम रहे।
झामुमो की कल्याणकारी योजनाएं व वादे
हेमंत सोरेन की सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं, जो जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हुईं। इनमें मंइयां सम्मान योजना शामिल है, जिसके तहत 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। सरकार बनने के बाद इसे बढ़ाकर 2,500 रुपये करने का वादा किया गया है। इसके अलावा, कृषि ऋण माफी और मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं ने भी आदिवासी समुदायों में उनकी सरकार की लोकप्रियता बढ़ाई।