रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 का परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिहाज से अप्रत्याशित रहा है। पार्टी प्रदेश की सत्ता में वापसी के सपने संजोए बैठी थी, लेकिन रिजल्ट बुरी हार के रूप में सामने आया। ऐसे में प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी के समक्ष नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। इसमें से एक चुनौती नेतृत्व को लेकर है। भगवा ब्रिगेड की नब्ज पहचानने वाले विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि मौजूदा वक्त में पार्टी को आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, दलित और विशेष रूप से महतो समाज के बीच से आने वाले नए नेता की आवश्यकता है, लेकिन इन सबसे कहीं अधिक जरूरत प्रदेश में सशक्त महिला नेतृत्व की है। झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र की मानें तो भाजपा के पास संभावनाशील महिला नेतृत्व की कमी नहीं है। जरूरत है कि इन्हें पार्टी अपने सांचे में तराश कर जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप सशक्त रूप से प्रस्तुत करे। ऐसे में यक्ष प्रश्न यह है कि क्या हर चुनाव के बाद समीक्षा का दावा करने वाली पार्टी भविष्य के लिए वैकल्पिक नेतृत्व पर विचार करेगी।
भाजपा के समक्ष उपलब्ध विकल्प और आवश्यकता
मौजूदा विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टारवार पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की नेता कल्पना सोरेन की चमक भारी पड़ी है। ऐसे में आधी आबादी तक अपनी बात पहुंचाने के लिए भाजपा को स्थानीय महिला नेतृत्व की आवश्यकता है। भाजपा के समक्ष मौजूदा वक्त में कुल छह महिला नेताओं का विकल्प मौजूद है। इसमें से चार महिला नए विधानसभा में चुनकर आई हैं, जबकि दो केंद्र की राजनीति में हैं। सवाल यह है कि क्या पार्टी इनमें से किसी को प्रदेश की राजनीति में फ्रंटफुट पर खेलने के लिए मैदान में उतारने का फैसला लेगी।
पहला विकल्प : अन्नपूर्णा देवी

कोडरमा से लोकसभा के लिए निर्वाचित सांसद एवं केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी एक बड़ा महिला चेहरा हैं। अन्नपूर्णा देवी पिछड़ा वर्ग से आती हैं। स्वभाव से बेहद सरल और सहज उपलब्ध हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों की अपेक्षाओं के अनुसार वह युवा नेतृत्व की कमी को शायद ही पूरी कर सकें। इसका कारण यह है कि वह लंबे समय से राजनीति में हैं। उम्रसीमा के मापदंड पर वह पूरी तरह फिट नहीं बैठ रहीं।
दूसरा विकल्प : आशा लकड़ा

रांची नगर निगम की पूर्व मेयर आशा लकड़ा दूसरा सबसे बड़ा नाम है। आशा लकड़ा में वह सभी खूबियां हैं, जो झारखंड जैसे राज्य में महिलाओं की सशक्त आवाज बन सकती हैं। वह जिस समाज से आती हैं। वह उनके लिए बड़े जनाधार का काम कर सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें अपनी टीम में रखा है, लेकिन प्रतिभा के हिसाब से आशा लकड़ा की क्षमता का शत-प्रतिशत उपयोग होता नहीं दिख रहा है।
तीसरा विकल्प : पूर्णिमा साहू दास

जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर पहली बार विधानसभा में बैठने जा रहीं पूर्णिमा साहू दास मौजूदा वक्त में सबसे अधिक संभावनाशील दिखाई दे रही हैं। इसमें सबसे मजबूत पक्ष उनकी उम्र है। वह युवा हैं। लंबे समय तक पार्टी के लिए काम कर सकती हैं। राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से हैं। स्वभाव की सरल और मृदुभाषी हैं। हालिया चुनाव में वह जिस सहजता और सरलता से जनता के बीच गई हैं, वह लोगों को प्रभावित करने वाला रहा है।
चौथा विकल्प : डॉ. नीरा यादव

कोडरमा से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुईं डॉ. नीरा यादव शैक्षणिक योग्यता के पैमाने पर अव्वल हैं। वह लंबे समय से राजनीति में हैं। वह रघुवर सरकार में शिक्षा मंत्री जैसा महत्वपूर्ण दायित्व संभाल चुकी हैं। वह पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखती हैं। इन सबके बावजूद वह युवाओं के बीच पार्टी की नई छवि पेश करने में पूरी तरह सक्षम होंगी, इसको लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों में मतभेद है।
पांचवां विकल्प : रागिनी सिंह

झरिया से भाजपा के टिकट पर निर्वाचित होकर विधानसभा जा रहीं रागिनी सिंह का नाम भी इस लिस्ट में शामिल किया जा सकता है। वह युवा हैं। क्षमतावान हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वह जिस पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती हैं, वहां वह पहले से ही काफी संघर्ष कर रही हैं। प्रदेश स्तर की नई जिम्मेदारी के लिए उन्हें वक्त निकालने में शायद कुछ चुनौतियां सामने आ सकती हैं।
छठवां विकल्प : मंजू कुमारी

विधानसभा चुनाव में जमुआ सीट से पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुईं मंजू कुमारी के नाम पर भी विचार हो सकता है। हालांकि मंजू कुमारी चुनाव से ठीक पहले ही भाजपा में शामिल हुईं हैं। इससे पहले उन्होंने 2019 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। उनके पिता भाजपा से विधायक रहे हैं। पार्टी में आने को उन्होंने घर-वापसी बताया है, लेकिन नए सदस्य पर पार्टी इतनी जल्दी दांव लगाएगी, इस पर संदेह है।