रांची : झारखंड में बिजली बोर्ड के अधिकारियों की एक नीतिगत गलती के कारण दर्जनों इंजीनियरों की प्रोन्नति में रुकावट आ गई है। यह मामला तब सामने आया जब देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों से डिग्री प्राप्त इंजीनियरों की प्रोन्नति को बोर्ड ने नकार दिया। इनमें बीआईटी, बीआईटी सिंदरी, एमआईटी भागलपुर, और एमआईटी वारंगल जैसे संस्थानों से इंजीनियरिंग डिग्री प्राप्त लोग शामिल हैं, जिन्हें बोर्ड ने इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग को मान्यता देने से मना कर दिया है।
इंजीनियरों की प्रोन्नति क्यों रुकी
इस विवाद की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई जब प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से लगभग दो दर्जन इंजीनियरों की भर्ती की गई थी। इनमें से कुछ को 2009 में ही ज्वाइनिंग दी गई और प्रोन्नति भी मिली, जबकि बीआईटी, एमआईटी जैसे संस्थानों से जुड़े इंजीनियरों को एक अगस्त 2011 में ज्वाइनिंग दी गई थी। इस प्रकार, इन इंजीनियरों को तीन साल का नुकसान हुआ, और अब इनकी प्रोन्नति में भी रुकावट आ रही है। बिजली बोर्ड का कहना है कि इन इंजीनियरों को उनके जॉइनिंग तारीख के अनुसार प्रोन्नति नहीं दी जा सकती, क्योंकि उनका ज्वाइनिंग 2011 में हुआ था, और ये समयसीमा पूरी नहीं कर सके।
क्यों है यह विवाद?
बिजली बोर्ड का कहना है कि इन संस्थानों से “इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स” की डिग्री प्राप्त इंजीनियरों को प्रोन्नति नहीं दी जा सकती, जबकि इन संस्थानों में पढ़ाई की जाने वाली डिग्री इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से अलग मानी जा रही है। हालांकि, इन इंजीनियरों का कहना है कि दोनों विषयों में कोई विशेष फर्क नहीं है। इसके बावजूद, बोर्ड ने प्रोन्नति देने में आना-कानी जारी रखी है, जिससे इन इंजीनियरों का करियर प्रभावित हो रहा है।
अदालत के आदेश के बावजूद समस्या का समाधान नहीं
साल 2017 में अदालत ने स्पष्ट आदेश दिया था कि इन इंजीनियरों की ज्वाइनिंग 21 नवंबर 2009 से मानी जानी चाहिए, लेकिन बिजली बोर्ड ने इस आदेश की अनदेखी की और इंजीनियरों की प्रोन्नति पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब जबकि बिजली बोर्ड में 64 नए पदों का सृजन हुआ है, डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) में इन इंजीनियरों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं।
सरकार ने लिया संज्ञान, जल्द हो सकती है कार्रवाई
इस विवाद को लेकर अब सरकार ने संज्ञान लिया है और जल्द ही बिजली बोर्ड के अधिकारियों को तलब किया जा सकता है। ये इंजीनियर अब न्याय की उम्मीद कर रहे हैं ताकि उनकी मेहनत और योग्यताओं का उचित सम्मान किया जा सके।