Ranchi (Jharkhand) : झारखंड हाई कोर्ट ने त्योहारों के दौरान होने वाले ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अदालत ने राज्य सरकार द्वारा अन्य जिलों में ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी न दिए जाने पर सख्त रुख दिखाया।
अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार ने केवल रांची जिले में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए की गई कार्रवाई के संबंध में ही हलफनामा दाखिल किया है। बाकी जिलों से संबंधित हलफनामा दाखिल न किए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अदालत ने मौखिक रूप से पूछा कि आखिर कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया? अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य के अन्य जिलों में त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
सरकार को छह मई तक का अल्टीमेटम
अदालत ने राज्य सरकार को सभी जिलों में पर्व-त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए की गई विस्तृत कार्रवाई की जानकारी देने के लिए छह मई तक का अंतिम समय दिया है। इस महत्वपूर्ण मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शुभम कटारुका ने पैरवी की।
हाई कोर्ट का यह सख्त रुख ध्वनि प्रदूषण को लेकर बढ़ती चिंता और अदालती आदेशों के प्रति सरकार की कथित उदासीनता को दर्शाता है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार छह मई तक सभी जिलों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करती है या नहीं।