Ranchi (Jharkhand) : राजधानी रांची और पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय चाईबासा स्थित सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में पांच बच्चों को संक्रमित रक्त (Infected Blood) चढ़ाए जाने के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है। इस मामले में न्यायालय ने गुरुवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान राज्य के स्वास्थ्य सचिव अजय कुमार सिंह, झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एवं ड्रग कंट्रोलर कोर्ट में सशरीर उपस्थित थे। न्यायालय ने इन अधिकारियों को सुनवाई के दौरान कड़ी फटकार लगाई। बता दें कि बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के बाद उन्हें एचआईवी पॉजिटिव (HIV Positive) पाया गया।
खंडपीठ का निर्देश-अविलंब एक्शन ले सरकार
इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने की। खंडपीठ ने ऐसी घटनाओं को बेहद गंभीर बताया। साथ ही इसे रोकने के लिए सरकार को अविलंब कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
सरकार से न्यायालय ने मांगा रक्तदान शिविरों का ब्योरा
अदालत ने सरकार को शपथ पत्र दाखिल कर सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में ब्लड डोनेशन कैंप का ब्यौरा मांगा है। राज्य के अस्पतालों में कितने रक्त की आवश्यकता है और कितना उपलब्ध हो पा रहा है इसका भी आंकड़ा अदालत ने सरकार से मांगा है। साथ ही झारखंड में नेशनल ब्लड पॉलिसी को और प्रभावी बनाने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सरकार ने नहीं लिया कोई एक्शन
मामले में खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे पूर्व भी इस मामले को अदालत देख रही है और सरकार को दिशा-निर्देश दे रही है, इसके बावजूद रांची एवं चाईबासा में इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया गया। अदालत ने कहा कि एचआइवी संक्रमित संक्रमण की एडवांस मशीन न्यूक्लिक एसिड टेस्ट अब तक अस्पतालों में क्यों उपलब्ध नहीं कराई गई है।
अदालत ने पूछा-झारखंड में बगैर लाइसेंस क्यों चल रहे हैं ब्लड बैंक
झारखंड में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक क्यों चल रहे हैं? ब्लड बैंकों के लाइसेंस का रिन्यूअल दो सालों से क्यों लंबित रह रहा है। राज्य के अस्पतालों में पैसे लेकर ब्लड डोनेट का मामला अभी देखने में आता है, इस पर अंकुश क्यों नहीं लगता है। ब्लड बैंकों के माध्यम से ही ब्लड एकत्रित होना चाहिए और न्यूक्लिक एसिड टेस्ट मशीन का सहारा लेकर संक्रमित रक्त की रोकथाम संभव है।
राज्य में तैयार की जा रही एसओपी : महाधिवक्ता
महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से अस्पतालों में ब्लड डोनेशन के लिए लगातार कैंप लगाए जाते हैं। नेशनल ब्लड पॉलिसी को झारखंड में प्रभावी बनाने के लिए एसओपी बनाया जा रहा है। राज्य के सभी जिलों में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट मशीन लगाए जाएंगे ताकि लोगों को सही ब्लड जा चढ़ाया जा सके। सुनवाई के दौरान लाइफ सेवर रांची के अतुल गेरा और अधिवक्ता शुभम काटारुका ने भी पक्ष रखा।
रांची सदर अस्पताल में बच्चे को चढ़ाया गया था संक्रमित रक्त
उल्लेखनीय है कि थैलेसीमिया पीड़ित एक बच्चे को रांची सदर अस्पताल में ब्लड चढ़ाया गया था। उसके बाद उसे एचआइवी संक्रमित पाया गया था। बच्चे के पिता ने उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था। उच्च न्यायालय ने पत्र को गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया है।
चाईबासा में पांच बच्चों को चढ़ाया गया था एचआईवी संक्रमित रक्त
वहीं पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद पांच बच्चे एचआईवी-पॉजिटिव पाए गए थे, जिनमें एक सात वर्षीय थैलेसीमिया रोगी भी शामिल था। झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य स्वास्थ्य सचिव और जिला सिविल सर्जन से रिपोर्ट मांगी थी।
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