Dr. Brajesh Mishra / Ranchi (Jharkhand) : झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य के पूर्वी सिंहभूम जिले (East Singhbhum District) में हो रहे पन्ना के अवैध खनन का संज्ञान लिया है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। गत 19 सितंबर को दैनिक समाचार पत्र दैनिक भास्कर की ओर से इस संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। संबंधित मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाते हुए न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट की इस कार्रवाई के संबंध में एडवोकेट जनरल की तरफ से राज्य सरकार के मुख्य सचिव और सचिव खनन एवं भूतत्व विभाग को पत्र लिखकर जानकारी दी गई है।
कुछ ऐसा है पूरा मामला
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्वी सिंहभूम जिले के गुड़ाबांदा में दुनिया का सबसे अच्छी गुणवत्ता का पन्ना मौजूद है। केंद्र और राज्य के बीच संवादहीनता के कारण खनन नहीं हो रहा है। नतीजा यह है कि इस बेशकीमती रत्न की चोरी कर तस्कर अपनी झोली भर रहे हैं। रिपोर्ट में डायरेक्टर, जियोलॉजी के हवाले से दावा किया गया है कि एनएमडीसी को इसकी जानकारी दी गई है। गाइडलाइन नहीं मिलने के कारण उत्खनन नहीं हो पा रहा है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि वर्ष 2015-16 में इसका पता लगाया गया था।
नक्सलियों के कारण अधर में लटक गया था सर्वे
इस रिपोर्ट के अनुसार पहले 2015-16 और फिर 2021-22 में इस क्षेत्र में सर्वे कराया था। 2015-16 में हुए सर्वे के दौरान उस क्षेत्र में नक्सलियों का दबदबा था। इसलिए समुचित स्तर तक सर्वे नहीं हुआ। इसलिए 2021-22 में पूरे इलाके का सर्वे कराया गया। विभाग की ओर से दावा दिया गया है कि ग्राउंड- लेवल तक सर्वे में साफ हुआ कि गुड़ाबांदा और बालुटिया ब्लाक में प्रचुर मात्रा में पन्ना का भंडार है। फिर उत्खनन की पहल हुई, लेकिन कीमत को लेकर स्पष्टता नहीं होने के कारण केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम एनएमडीसी को रिपोर्ट सौंपी गई। साथ ही राज्य सरकार ने गाइडलाइन भी मांगी। बावजूद केंद्र की ओर सेअब तक कोई उत्तर नहीं मिला है। उसके बाद से झारखंड जियोलॉजी विभाग केंद्र सरकार की गाइडलाइन की प्रतीक्षा व उस पर पूरी तरह से निर्भर हैं।
तस्करों का रहा है दबदबा, ग्रामीण भी नतमस्तक
पूर्व में वन विभाग कुछ छुटभैया तस्करों की धर-पकड़ करता रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें, तो यहां पन्ना का भंडार होने की जानकारी होने के बाद से ही तस्करों का दबदबा रहा है। दुरकूगोड़ा पहाड़ पर वन विभाग के पौधरोपण अभियान के तहत मजदूरों से पौधा लगवा रहे कासी बाड़ा के प्रधान रामदास हांसदा इसकी कहानी बताते हैं। उनकी मानें तो पन्ना तस्करों के आगे यहां के ग्रामीण नतमस्तक हैं। हर दिन सुबह यहां तस्करों का आना शुरू हो जाता है। देखा जाए तो करीह 50 से 100 की संख्या में आने वाले तस्करों का विरोध करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाता है।
तस्करों को पहले था नक्सलियों का संरक्षण, अब संगठित
पहले यहां तस्करों को नक्सलियों का संरक्षण मिलता था, लेकिन अब ये संगठित हो गए हैं। आसपास के ग्रामीणों को भी इन लोगों ने मिला लिया है। इस तरह जो भी विरोध में आवाज उठाता है, उसके लिए ये परेशानी का सबब बन जाते हैं। रही बात पुलिस की, तो सात-आठ दिन पर आती है। वहह भी केवल खानापूर्ति के लिए। तस्करों को पहले से उनके आने का पता होता है।