रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह जमीन सर्वेक्षण की प्रगति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करे। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने शुक्रवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किया। अदालत ने सरकार को फरवरी 2025 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का समय दिया है।
सरकार ने दी सर्वेक्षण प्रगति की जानकारी
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि झारखंड में जमीन सर्वेक्षण कार्य प्रगति पर है। लातेहार और लोहरदगा जिलों में सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है, जबकि अन्य जिलों में इस प्रक्रिया को पूरा करने में छह महीने का समय और लगेगा।
याचिकाकर्ता ने उठाए गंभीर सवाल
याचिकाकर्ता गोकुलचंद ने अदालत को सूचित किया कि झारखंड में 1980 से जमीन सर्वे का कार्य जारी है, लेकिन चार दशक बीतने के बाद भी यह पूरी तरह से संपन्न नहीं हो सका है। उन्होंने आरोप लगाया कि सर्वेक्षण में हो रही देरी के कारण जमीन माफियाओं की गतिविधियां बढ़ गई हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि माफिया दस्तावेजों में हेरफेर करके जमीन की प्रकृति बदल रहे हैं और अवैध खरीद-बिक्री कर रहे हैं। इससे न केवल सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि आम नागरिक भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इस कार्य को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए सख्त दिशानिर्देश दिए जाएं।
अदालत ने दी चेतावनी
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से जमीन सर्वेक्षण की गति तेज करने और प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि जमीन सर्वेक्षण का समय पर पूरा होना राज्य के विकास और राजस्व संग्रह के लिए अनिवार्य है।
हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार से कहा कि फरवरी तक एक ठोस और तथ्यात्मक प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए।
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