Ranchi : झारखंड के गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय स्तर से आठ आईपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार सौंपे जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे नियमों का उल्लंघन बताया है। आईपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार सौंप जाने के आदेश को गृह विभाग ने रद्द कर दिया है। साथ ही डीजीपी से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि किन परिस्थितियों में नियमों का पालन किए बगैर इन आईपीएस अधिकारियों को पुलिस मुख्यालय स्तर से अतिरिक्त प्रभार दिया जा रहा है। साथ ही स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि भविष्य में इस तरह की प्रक्रिया दोबारा न दोहराई जाए। साथ ही इन आठ पदों के लिए पुलिस मुख्यालय से अधियाचना मांगी गई है। ताकि गृह विभाग इन पर आईपीएस अधिकारियों को नियमानुसार अतिरिक्त प्रभार का आदेश जारी कर सके।
दरअसल, 10 जून 2025 को रांची स्थित महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक (डीजीपी) कार्यालय की ओर से आठ आईपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार देने का आदेश जारी किया गया था। यह आदेश तब जारी हुआ जब इन पदों पर कार्यरत अधिकारी विभिन्न कारणों से मुख्यालय से अनुपस्थित थे। लेकिन इस फैसले के लिए न तो मुख्य सचिव स्तर से अनुमति ली गई, ना ही मुख्यमंत्री की स्वीकृति प्राप्त की गई, जो कि निर्धारित प्रक्रिया का हिस्सा है।
नियम है कि अगर किसी आईपीएस अधिकारी को एक महीने तक का अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है तो इसके लिए पुलिस मुख्यालय को मुख्य सचिव की अनुमति लेनी होगी। लेकिन अगर किसी पुलिस अधिकारी को एक महीने से अधिक अवधि का अतिरिक्त प्रभार देना होता है तो उसके लिए मुख्यमंत्री की अनुमति जरूरी है। लेकिन 10 जून को जारी किए गए आदेश में यह अनुमति नहीं ली गई। इसीलिए गृह कारा एवं आपदा विभाग ने इस आदेश पर एतराज जताते हुए इसे रद्द कर दिया है।
गृह विभाग के संयुक्त सचिव आलोक कुमार ने इस पूरे मामले पर 13 जून को डीजीपी को पत्र लिखते हुए न सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा, बल्कि 13 अगस्त 2010 के कार्मिक विभाग के संकल्प का हवाला देते हुए डीजीपी कार्यालय के आदेश को अमान्य घोषित कर दिया। उन्होंने लिखा कि यदि किसी पुलिस अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण वैकल्पिक व्यवस्था करनी होती है, तो अधिकतम एक माह के लिए ही मुख्य सचिव की अनुमति से अतिरिक्त प्रभार सौंपा जा सकता है। एक माह से ज्यादा होने पर मुख्यमंत्री का आदेश आवश्यक होता है।पत्र में यह भी कहा गया है कि हाल के दिनों में पुलिस मुख्यालय अपने स्तर से ही स्वायत्त रूप से अतिरिक्त प्रभार सौंपने लगा है, जो कि नियमों और प्रक्रिया का उल्लंघन है। ऐसे में इस निर्णय को रद्द करते हुए यह पूछा गया है कि किन परिस्थितियों में उक्त आठ अधिकारियों को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।
गौरतलब है कि डीजीपी ने जमशेदपुर के ग्रामीण एसपी ऋषभ गर्ग को जमशेदपुर के रेल एसपी का अतिरिक्त प्रभार, धनबाद के सिटी एसपी ऋत्विक श्रीवास्तव को धनबाद के रेल एसपी का अतिरिक्त प्रभार, गोड्डा के एसपी मुकेश कुमार को आईआरबी 8 की अतिरिक्त जिम्मेदारी, गुमला के एसपी हारिस बिन जमां को आइआरबी 5 की अतिरिक्त जिम्मेदारी, चतरा के एसपी सुमित अग्रवाल को आईआरबी 3 का अतिरिक्त प्रभार, जामताड़ा के एसपी राजकुमार मेहता को आईआरबी 1 का अतिरिक्त प्रभार, धनबाद के ग्रामीण एसपी कपिल चौधरी को जैप थ्री कमांडेंट का अतिरिक्त प्रभार और जैप 10 के कमांडेंट सौरभ को जैप वन कमांडेंट का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था।
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