रांची: वर्षों की मेहनत के बाद झारखंड के वन विभाग को बड़ी सफलता मिली है। पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR) के कोर एरिया में स्थित जैगीर गांव को पूरी तरह से वहां से हटाकर बाहरी क्षेत्र में पुनर्स्थापित कर दिया गया है। यह राज्य में अपनी तरह की पहली घटना है, जिससे वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास पर मानव दखल को कम किया जा सकेगा और जंगली जानवरों को स्वतंत्र वातावरण में विचरण करने का अवसर मिलेगा।
पलामू टाइगर रिज़र्व का विस्तार और जैगीर का नया ठिकाना
पलामू टाइगर रिज़र्व कुल 1129.93 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 414.08 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया शामिल है। जैगीर गांव इसी कोर क्षेत्र के भीतर था, जिसे अब पोलपोल गांव के समीप, कोर एरिया से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है। जैगीर का पुराना स्थान अब घास का मैदान बनाया जाएगा, ताकि वहां बाघों के शिकार प्रजातियों को आकर्षित किया जा सके।
विस्थापन से वन्यजीवों को मिलेगा लाभ
जैगीर गांव के विस्थापन से करीब 1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वन्यजीवों के लिए मुक्त हो गया है। इससे बाघों के संरक्षण, उनके प्राकृतिक निवास स्थान के विकास और वन्य पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बढ़ावा मिलेगा।
22 परिवारों का सफल पुनर्वास, आठ और गांव चिन्हित
अब तक 22 परिवारों के कुल 160 लोग नए जैगीर गांव में स्थानांतरित हो चुके हैं, जहां उन्हें 75 एकड़ जमीन पर पुनर्वासित किया गया है। वन विभाग ने इसके अलावा आठ और गांवों को चिन्हित किया है, जिन्हें भविष्य में इसी तरह कोर क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित किया जाएगा।
पुनर्वास मॉडल बना पोलपोल गांव
PTR के उपनिदेशक कुमार आशीष ने बताया कि 2023 से पुनर्वास प्रयासों को गंभीरता से शुरू किया गया। उन्होंने गांव वालों से लगातार बातचीत कर उन्हें जंगल क्षेत्र से बाहर जाने के फायदे समझाए। उन्होंने कहा, “हम पोलपोल को आदर्श पुनर्वास गांव के रूप में विकसित कर रहे हैं, ताकि बाकी गांवों को प्रेरित किया जा सके।”
मुआवज़ा योजना और पुनर्वास की चुनौतियां
उपनिदेशक ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती गांव वालों का विश्वास जीतना था। कई परिवारों में ज़मीन के एक से अधिक दावेदार थे, इसलिए हर परिवार को 5 एकड़ भूमि देना संभव नहीं था। समाधान के तौर पर, परिवार के एक सदस्य को भूमि दी गई और शेष सदस्यों को ₹15 लाख का मुआवज़ा दिया गया।
नई सुविधाएं, खुश हैं गांववासी
नए जैगीर गांव में सड़क, परिवहन और आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में ग्रामीण अस्थायी आवास में रह रहे हैं, जिनका निर्माण वन विभाग ने कराया है। गांव वालों ने बताया कि अब उन्हें लंबी दूरी पैदल तय नहीं करनी पड़ती और वे बेहतर जीवन की ओर अग्रसर हैं।