Home » Jamshedpur News : जमशेदपुर पू्र्व शिक्षा मंत्री के घर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी, RIMS-2 को लेकर बोले- स्वास्थ्य पर राजनीति न करे भाजपा

Jamshedpur News : जमशेदपुर पू्र्व शिक्षा मंत्री के घर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी, RIMS-2 को लेकर बोले- स्वास्थ्य पर राजनीति न करे भाजपा

Ranchi Rims : इरफान अंसारी ने कहा कि रिम्स बनने दीजिए। अगर दूसरी जगह इसे बनाया जाएगा तो जमीन खोजने में और अन्य प्रक्रिया करने में 5-6 साल लग जाएंगे।

by Mujtaba Haider Rizvi
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

Jamshedpur : झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी और मंत्री संजय यादव बुधवार को जमशेदपुर पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री स्व. रामदास सोरेन की पत्नी और पुत्र से मुलाकात कर पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन पर उन्हें सांत्वना दी। साथ ही पूर्व शिक्षा मंत्री को श्रद्धांजलि भी दी।

इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने RIMS-2 को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि RIMS- 2 को लेकर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। इरफान अंसारी ने कहा कि भाजपा स्वास्थ्य पर राजनीति न करे। वर्तमान में जो रिम्स है वह छोटा है। वहां अधिक मरीज आ जाते हैं तो इलाज नहीं हो पाता। इसीलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने फैसला किया था कि नगड़ी में बड़ा रिम्स अस्पताल बनाया जाए। ताकि गरीबों का आसानी से इलाज हो सके।

उन्होंने कहा कि सभी को सपोर्ट करना चाहिए। ताकि रिम्स टू आसानी से बन जाए। इस सवाल पर कि क्या रिम्स टू के लिए कहीं और जमीन खोजी जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि भाजपा राजधानी में एक बड़ा अस्पताल बनाने में अड़ंगा लगा रही है। आदिवासियों को भड़काया जा रहा है। अगर रिम्स बनने से आदिवासी अस्मिता को ठेस लगेगी तो उनकी सरकार कभी नगड़ी में रिम्स नहीं बनाएगी।

इरफान अंसारी ने कहा कि रिम्स बनने दीजिए। अगर दूसरी जगह इसे बनाया जाएगा तो जमीन खोजने में और अन्य प्रक्रिया करने में 5-6 साल लग जाएंगे। अगर आदिवासी समाज नहीं चाहता तो नगड़ी में RIMS-2 नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि चंद लोग मामले में आग भड़का रहे हैं।

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही मंत्री इरफान अंसारी ने विधानसभा से निकलते कहा था कि नगड़ी का RIMS-2 का नाम बदलकर शिबू सोरेन रिसर्च सेंटर एंड हॉस्पिटल रखा जाएगा।

बता दें कि पिछले दिनों नगड़ी में जिस तरह से आदिवासी समाज ने आंदोलन किया, उससे साफ हो गया कि लोग अपनी खेतीहर जमीन पर किसी तरह का निर्माण नहीं चाहते। जबकि इस जमीन का अधिग्रहण 1957 में बिरसा एग्रीकल्चर के नाम पर किया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी किसानों को भरोसा दिया था कि उनकी जमीन पर कुछ नहीं बनाया जाएगा, जिसके बाद किसान नियमित रूप से मालगुजारी चुकाते रहे।



Read Also: Chaibasa News : चाईबासा में मिट्टी की दीवार गिरने से युवती की मौत, छोटी बहन घायल

Related Articles

Leave a Comment