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Jharkhand News: जेटेट क्वालीफाई करने के बाद भी छांट दिए गए आलिम व फाजिल डिग्री होल्डर 763 युवा

झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ ने क्षिक्ष एवं साक्षरता विभाग के खिलाफ खोला मोर्चा, हाईकोर्ट में दायर करेगा रिट

by Mujtaba Haider Rizvi
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Jamshedpur : झारखंड में आलिम की डिग्री रखने वाले 763 युवाओं को झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) पास करने के बाद भी नौकरी नहीं दी गई। इन युवाओं से शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने कहा है कि उनकी डिग्री मान्य नहीं है। इस वजह से उन्हें टीचर के पद पर नौकरी नहीं दी जा सकती। शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के इस कदम से हड़कंप मच गया है। शैक्षिक संगठन झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ ने आलिम और फाजिल की डिग्री रखने वालों को सहायक आचार्य के पद पर तैनाती नहीं देने के फैसले का विरोध किया है।

संगठन का कहना है कि अगर शिक्षा एवं साक्षरता विभाग इन युवाओं को सहायक आचार्य के पद पर नौकरी नहीं देता है तो वह सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में केस करेंगे।सबसे बड़ा सवाल यह है कि जेटेट की परीक्षा भी जैक बोर्ड ने संपन्न कराई है। इन युवाओं का कहना है कि अगर उनकी आलिम और फाजिल की डिग्री जेटेट के लिए वैध नहीं थी तो फिर उन्हें जेटेट की परीक्षा क्यों दिलाई गई। इन युवाओं ने जेटेट के लिए आवेदन किया और उस आवेदन में आलिम और फाजिल की डिग्री लगाई थी। मगर, तब जैक बोर्ड ने इस आवेदन को न केवल स्वीकार किया, बल्कि इन युवाओं की जेटेट की परीक्षा भी ली।

आलिम की डिग्री बीए और फाजिल की डिग्री एमए के समकक्ष मानी जाती है। झारखंड सरकार के अलावा बिहार और यूपी समेत कई राज्यों में इसे मान्यता दी गई है। झारखंड में जैक बोर्ड ही आलिम और फाजिल की परीक्षा लेता है। जिन युवाओं को नौकरी देने से मना किया गया है उनके पास आलिम और फाजिल की डिग्री के अलावा बीएड की भी डिग्री है। इन युवाओं ने झारखंड के सरकारी कॉलेजों से ही बीएड भी किया है। इसके बाद भी इन युवाओं को नौकरी देने से मना करने का क्षिक्षा एवं साक्षरता विभाग का यह फैसला किसी के गले से नहीं उतर रहा है।

बताया जा रहा कि सहायक आचार्य की परीक्षा क्वालीफाई करने के बाद यह युवा डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाए गए थे। मगर, जब शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इनका डाक्यूमेंट देखा और आलिम व फाजिल की डिग्री देखने के बाद इन युवाओं को साफ मना कर दिया गया। इन्हें बताया गया कि इनकी डिग्री मान्य नहीं है। जब युवाओं ने इसका कारण पूछा तो अधिकारियों ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। जिन युवाओं ने सहायक आचार्य की परीक्षा पास की है उन्होंने साल 2013 और 2016 में आलिम की परीक्षा पास की है। इसके बाद इन लोगों ने बीएड की भी परीक्षा पास की है। झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ के मोहम्मद ताहिर हुसैन का कहना है कि इन युवाओं के पास झारखंड का आवासीय प्रमाण पत्र भी है। यह सभी युवा झारखंड के ही रहने वाले हैं।

जैक बोर्ड इन डिग्रियों को देता है मान्यता

जैक बोर्ड इन डिग्रियों को मान्यता देता है। जैक बोर्ड ने साल 2016 में इस संबंध में आवेदन नोटिफिकेशन निकाला था। जैक बोर्ड के तत्कालीन सचिव चंद्रकांत त्रिपाी के हस्ताक्षर से यह नोटिफिकेशन जारी हुआ था। इसके अनुसार, मिडिल को वस्तानियां, माध्यमिक को फौकानियां, इंटरमीडिएट को मौलवी, बीए को आलिम और एमए को फाजिल की मान्यता दी गई है। यही नहीं, जैक बोर्ड ही इस की परीक्षा भी कराता है। रांची विश्विद्यालय ने भी इन दोनों डिग्रियों को मान्यता दी है।

इन युवाओं ने सहायक आचार्य की परीक्षा दी थी। यह युवा इस परीक्षा को क्वालीफाई कर गए थे। मगर, इन्हें डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय छांट दिया गया है। शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को चाहिए कि वह इन युवाओं को नौकरी दे। अगर ऐसा नहीं होता तो झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ हाईकोर्ट जाएगा। ताहिर हुसैन, प्रदेश अध्यक्ष, झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ

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