Ranchi (Jharkhand) : झारखंड के वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने अपनी दो प्रमुख मांगों को लेकर आगामी 5 अगस्त को विधानसभा के सामने एक दिवसीय महाधरना आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस महाधरने में राज्य भर से हजारों शिक्षक और कर्मचारी हिस्सा लेंगे, जिससे सरकार पर अपनी मांगों को मानने का दबाव बनाया जा सके।
मोर्चा की प्रमुख मांगों में 75 प्रतिशत अनुदान वृद्धि के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद में रखना और राज्य कर्मी के कर्ज देने संबंधी कार्मिक विभाग के पत्र पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा कोई कार्रवाई न किया जाना शामिल है। यह महत्वपूर्ण निर्णय बुधवार को हुई मोर्चा के अध्यक्ष मंडल की बैठक में लिया गया।
अनुदान वृद्धि पर लटका पेंच
मोर्चा के अनुसार, 75 प्रतिशत अनुदान वृद्धि का प्रस्ताव विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद वित्त विभाग को भेजा गया था। वित्त विभाग ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति देकर रिपोर्ट प्रशासी विभाग को भेजी, जिसके बाद प्रशासी विभाग ने इसे विधिक राय के लिए विधि विभाग को भेजा। विधि विभाग से सहमति मिलने के बाद प्रशासी विभाग ने इसे कैबिनेट की सहमति के लिए कैबिनेट में भेज दिया।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने अंततः इस मामले को मंत्रिपरिषद में नहीं रखा और रिपोर्ट को विमर्श के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव को वापस भेज दिया। मोर्चा ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब विधि विभाग सहित अन्य सभी संबंधित विभागों ने प्रस्ताव पर सहमति दे दी है, तो फिर शिक्षा सचिव से “विमर्श” का कोई औचित्य नहीं रह जाता। मोर्चा जानना चाहता है कि मुख्यमंत्री किस बिंदु पर सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से विमर्श करना चाहते हैं।
आंदोलन की अगली रणनीति
बैठक में यह भी तय किया गया कि मोर्चा इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपेगा। इसके बाद, जैसा कि पहले बताया गया है, 5 अगस्त को विधानसभा के सामने महाधरना दिया जाएगा। आंदोलन को और तेज करते हुए, 7 अगस्त को पूरे राज्य में शैक्षणिक हड़ताल रहेगी। इस दिन सभी वित्त रहित स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे, और उनके गेटों पर ताला लगा रहेगा।
इस महत्वपूर्ण बैठक में कुंदन कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद, डॉ. देवनाथ सिंह, गणेश महतो, नरोत्तम सिंह, रघु विश्वकर्मा, मनीष कुमार, मनोज कुमार, शीतल उरांव, संजय कुमार, पशुपति महतो सहित मोर्चा के अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित थे। यह आंदोलन वित्त रहित शिक्षकों की लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का एक बड़ा प्रयास है।
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