Ranchi (Jharkhand): झारखंड में बालू घाटों की नीलामी और प्रबंधन को लेकर भाजपा और झामुमो आमने-सामने आ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन सरकार ने बालू घाटों की जो नियमावली बनाई है, वह पूरी तरह माफियाओं और दलालों को फायदा पहुंचाने के लिए तैयार की गई है।
शुक्रवार को हरमू रोड स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता कर मरांडी ने कहा कि सरकार माफियाओं, बिचौलियों और दलालों के इशारे पर काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि नीलामी की शर्तों को इतना कठिन बना दिया गया है कि गरीब, बेरोजगार, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग इसमें भाग ही नहीं ले सकते। मरांडी ने कहा कि सरकार ने बालू घाटों को समूहों में बांटकर राजस्व और संसाधनों की लूट का नया रास्ता खोल दिया है।
पेसा कानून और स्थानीय युवाओं की भागीदारी का मुद्दा
मरांडी ने कहा कि सरकार यदि सचमुच स्थानीय युवाओं और बेरोजगारों की चिंता करती, तो 75 प्रतिशत नौकरियों में उनकी भागीदारी और छोटे ठेकों में आरक्षण लागू करती। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान नियमों के तहत अवैध उत्खनन को वैध करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस पर पुनर्विचार नहीं किया तो आने वाले दिनों में और अधिकारी जेल की राह पकड़ सकते हैं।
झामुमो का पलटवार – पारदर्शिता लाने का प्रयास
बाबूलाल मरांडी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा शासन में वर्षों तक बालू माफिया सक्रिय रहे और तब बाबूलाल मरांडी ने चुप्पी साध ली थी। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने बालू घाटों के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए नई व्यवस्था लागू की है।
विनोद पांडेय ने कहा कि समूह आधारित नीलामी से बिचौलियों और भ्रष्टाचार की भूमिका खत्म होगी, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी और गांवों का विकास होगा। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार पेसा कानून लागू करने और ग्राम सभा को अधिकार देने के प्रति प्रतिबद्ध है, लेकिन साथ ही पर्यावरणीय मानकों और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन भी जरूरी है।
विकास बनाम आरोप की राजनीति
झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा सिर्फ निराधार आरोप लगाकर जनता को गुमराह करना चाहती है। हेमंत सरकार हर वर्ग के हित में काम कर रही है और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बाबूलाल मरांडी से अपील की कि वे निराधार आरोपों के बजाय राज्य के विकास में रचनात्मक सुझाव दें।