Jamshedpur News : पुलिस इन दिनों बालू के अवैध कारोबार पर शिकंजा कस रही है। इससे बालू के सप्लायरों का धंधा चौपट हो रहा है। मानगो चौक पर बालू के सप्लायरों और चालकों ने बुधवार को प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि कई सप्लायरों ने बालू डंप कर लिया है। उनका कहना है कि वह वैध तरीके से बालू बेच रहे हैं मगर, पुलिस उसको भी पकड़ रही है। सप्लायरों का कहना है कि पुलिस इस मामले में पूरी तरह जांच पड़ताल करे और जो बालू वैध तरीके से बेचा जा रहा है उस पर कार्रवाई नहीं करे।
इस प्रदर्शन में टाटा 407 वाहन के चालक भी शामिल रहे। एक चालक ने कहा कि वह लोग अपना घर चलाने के लिए चालक की नौकरी कर रहे हैं। मगर, पुलिस जब वाहन को पकड़ती है तो चालकों को जेल भेज देती है। ऐसे में उन्हें काफी परेशानी हो ती है। चालकों के अलावा मजदूर भी इस प्रदर्शन में आए थे। उनका कहना है कि निर्माण कार्य ठप होने से उनको काम नहीं मिल रहा है। वह रोज कमाने खाने वाले लोग हैं। घर में चूल्हा ठंडा पड़ने की नौबत आ गई है।
झारखंड सरकार ने मानसून सीजन को देखते हुए सितंबर माह तक सभी नदियों के किनारे से बालू उठाव पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार के आदेश के बाद जहां वैध रूप से बालू का उठाव रुक गया है, वहीं कुछ सप्लायर और ठेकेदार चोरी-छिपे बालू संग्रह और अवैध उठाव की कोशिशें जारी हैं।
इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। जिन सप्लायरों के छोटे ट्रक नदी किनारे से बालू ला रहे थे, उन्हें जब्त कर लिया गया है। कई ड्राइवरों को जेल भेजा जा रहा है और ट्रक मालिकों पर प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। इस सख्ती का सीधा असर निर्माण कार्यों पर पड़ा है। सरकारी और निजी दोनों तरह के निर्माण पूरी तरह से रुक गए हैं। इससे मजदूरों की हालत बदतर हो गई है। उन्हें न तो काम मिल रहा है और न ही कोई वैकल्पिक रोज़गार। मजदूरों के साथ-साथ सप्लायर और ठेकेदार भी परेशान हैं। उनका कहना है कि अगर प्रशासन उनकी गाड़ियां जब्त करता रहेगा, तो वे और उनके मजदूर किस तरह अपनी जीविका चलाएंगे।
इन्हीं मांगों को लेकर पिछले चार दिनों से मानगो चौक पर मजदूर, सप्लायर और ठेकेदार लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलनकारी प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि या तो वैकल्पिक व्यवस्था की जाए या प्रतिबंध में कुछ राहत दी जाए। हालांकि, फिलहाल जिला प्रशासन इस मुद्दे पर कोई नरमी बरतने के मूड में नजर नहीं आ रहा है। प्रदर्शनकारी अब आगे की रणनीति बनाने में जुट गए हैं और आंदोलन को व्यापक रूप देने की तैयारी कर रहे हैं।