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RANCHI NEWS: झारखंड की जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से अधिक, जानें क्या हो सकता है नुकसान

by Vivek Sharma
वर्ल्ड पॉपुलेशन डे
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RANCHI (JHARKHAND): झारखंड में विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन अभियान निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड शशि प्रकाश झा ने किया। कार्यक्रम का उद्देश्य जनसंख्या से संबंधित ज्वलंत मुद्दों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा में कमी, पर्यावरणीय असंतुलन, प्रजनन स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं पर चर्चा और जनजागरूकता फैलाना था। शशि प्रकाश झा ने कहा कि झारखंड की जनसंख्या वृद्धि दर 1.25% है, जो राष्ट्रीय औसत 0.90  से अधिक है। हालांकि पॉपुलेशन प्रोजेक्शन 2020 के अनुसार यह दर धीरे-धीरे घट रही है, जिसमें परिवार नियोजन कार्यक्रमों की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि संसाधनों की सीमितता और बढ़ती आबादी के कारण बुनियादी सुविधाओं पर दबाव बढ़ता है और सामाजिक असमानता भी बढ़ती है।

क्वालिटी ऑफ लाइफ पहले की तुलना में बढ़ी

अभियान निदेशक ने कहा कि आज हमारे पास संसाधन की मात्रा काफी सीमित है। अगर हमारी आबादी बढ़ती जाएगी और गुणवत्ता नहीं बढ़ेगी तो आगे जाकर हमें काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हमारा देश एक विकासशील देश है जहां जनसंख्या वृद्धि भी हो रही है, लेकिन क्वालिटी ऑफ लाइफ पहले की तुलना में बढ़ी है यानि की बेहतर हुई है। साथ ही संभावित आयु भी पहले की तुलना में बढ़ी है, जिससे आज लोग 65 वर्ष से ज्यादा जीवन जी रहे हैं।

अस्थायी गर्भनिरोधक विधि अपनाने की जरूरत

डॉ सिद्धार्थ सान्याल निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं ने कहा कि अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों को अपनाकर अनचाही गर्भावस्था को रोका जा सकता है, जिससे अनमेट नीड में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि कम उम्र में विवाह और मातृत्व रोकने के लिए गांवों को चिन्हित कर वहां विशेष अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। वहीं सिविल सर्जन रांची डॉ प्रभात कुमार ने एनएफएचएस-5 के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि झारखंड की कुल प्रजनन दर 2.3 हो गई है। उन्होंने जनसंख्या वृद्धि को स्वास्थ्य सेवा, संसाधन और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डालने वाला कारक बताया।

परिवार नियोजन के कई विकल्प मौजूद

नोडल पदाधिकारी परिवार नियोजन डॉ पुष्पा ने बताया कि बास्केट आफ चॉइस के तहत परिवार नियोजन के कई विकल्प लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं। जिससे बच्चों के बीच अंतर रखने के लाभ को सरलता से समझाया जा सके। उन्होने कहा कि इस वर्ष जनसंख्या दिवस का थीम है मां बनने की उम्र वहीं, जब तन और मन की तैयारी सही। इस संदेश के माध्यम से किशोरियों और नवविवाहित दंपत्तियों को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होने के बाद ही मातृत्व अपनाने का संदेश दिया गया।

वीडियो का अनावरण, रथ को किया रवाना

अभियान निदेशक द्वारा परिवार नियोजन संबंधी वीडियो का अनावरण किया गया, जिसे सहिया एप में भी जोड़ा जाएगा। साथ ही पोस्टर और सेल्फ केयर किट का भी विमोचन हुआ। इस मौके पर परिवार नियोजन जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इसके अलावा महिला एवं पुरुष कलाकारों द्वारा लोकगीत व नृत्य प्रस्तुत किए गए। लोकगीत खुशी का मंत्र रखना याद, दूसरा बच्चा 3 साल बाद के माध्यम से परिवार नियोजन का महत्व रेखांकित किया गया।

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