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Jharkhand Tassar Silk Industry : तसर के उत्पत्ति स्थल व राजधानी सारंडा को सशक्त बनाने की जरूरत : राज्यपाल

• रांची केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान में ‘भारत में तसर रेशम उद्योग का समावेशी विकास’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में गवर्नर संतोष गंगवार ने की शिरकत, झारखंड के तसर उत्पादकों के कल्याण और स्थाई आजीविका के लिए नीति-निर्माण पर विशेष ध्यान पर बल दिया...

by Anand Mishra
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रांची : झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को रांची केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में तसर रेशम उद्योग के महत्व पर जोर दिया। इस संगोष्ठी का विषय था ‘भारत में तसर रेशम उद्योग के समावेशी विकास’। राज्यपाल ने कहा कि तसर रेशम उद्योग न केवल एक कृषि आधारित उद्योग है, बल्कि यह झारखंड के जनजातीय समुदाय की परंपरा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा भी है।

तसर रेशम का बढ़ता महत्व व झारखंड की भूमिका

राज्यपाल ने कहा, “झारखंड देश में तसर रेशम उत्पादन में अग्रणी राज्य है और यहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोग इस उद्योग से जुड़कर अपनी आजीविका चला रहे हैं।” उन्होंने तसर रेशम उद्योग को पर्यावरण-संवेदनशील और सतत विकास का उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए कहा कि यह उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है और वन संरक्षण को भी बढ़ावा देता है। राज्यपाल ने यह भी कहा किया कि तसर रेशम उद्योग से लगभग 10 मिलियन लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने केंद्रीय रेशम बोर्ड और कपड़ा मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा रहा है।

नीति-निर्माण पर जोर

अपने पूर्व अनुभव को साझा करते हुए राज्यपाल ने बताया कि 2014 में, उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय वस्त्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। उन्होंने रेशम कृषकों और बुनकरों के कल्याण के लिए किए गए प्रयासों को देखा और उनकी आय बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। राज्यपाल ने झारखंड के तसर उत्पादकों के कल्याण और उनकी आजीविका को स्थायी बनाने के लिए नीति-निर्माण में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।

वैश्विक बाजार में तसर रेशम की बढ़ती मांग

राज्यपाल ने कहा कि वैश्विक बाजार में तसर रेशम की मांग लगातार बढ़ रही है, और हमें इस अवसर का लाभ उठाकर भारतीय तसर रेशम को एक विशिष्ट पहचान दिलानी होगी। इसके लिए ब्रांडिंग, गुणवत्ता नियंत्रण, निर्यात संवर्धन और तकनीकी उन्नति पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने का आह्वान किया। राज्यपाल ने यह भी कहा कि झारखंड के सारंडा जंगल को अक्सर ‘भारत की तसर राजधानी’ कहा जाता है और यह माना जाता है कि तसर की उत्पत्ति यहीं से हुई थी। इस क्षेत्र को और सशक्त बनाने के लिए अनुसंधान एवं विकास को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

तसर उद्योग में उप-उत्पादों और उत्पाद विविधीकरण पर ध्यान

राज्यपाल ने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से आह्वान किया कि वे तसर रेशम के उप-उत्पादों और उत्पाद विविधीकरण पर विशेष ध्यान दें, ताकि स्थानीय कारीगरों और बुनकरों की आय में वृद्धि हो सके। इस अवसर पर राज्यपाल ने तसर उत्पादों और उनके प्रसंस्करण प्रक्रियाओं का अवलोकन किया। साथ ही, एक पुस्तक और शोध पत्र का विमोचन किया और इस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया।

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