Chaibasa (Jharkhand) : झारखंड में उर्दू शिक्षक बनने का सपना देख रहे सैकड़ों अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर ग्रहण लग गया है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा उर्दू टेट (6-8) सफल अभ्यर्थियों की काउंसलिंग के बाद अंतिम सूची रोक दिए जाने से झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ बेहद नाराज है। संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद ने इस मामले में मुख्यमंत्री सहित संबंधित मंत्रियों और विभागीय पदाधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
अमीन अहमद ने आरोप लगाया कि JSSC ने आलिम और फ़ाज़िल की डिग्रियों को लेकर विधि विभाग से जो राय मांगी, उस पर विधि विभाग ने इसे ‘असंवैधानिक’ बताया। संघ ने इस राय को गलत और भ्रामक करार दिया है। उनका कहना है कि यह कदम अल्पसंख्यक समुदाय के योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है।
2006 की अधिसूचना का हवाला
संघ ने बताया कि झारखंड अधिविद्य परिषद (JAC) ने वर्ष 2006 में ही ज्ञापन संख्या 3233/06, दिनांक 16 सितंबर 2006 के माध्यम से आलिम और फ़ाज़िल की डिग्रियों को मान्यता दी थी। ये परीक्षाएं राज्य सरकार की देखरेख में आयोजित की जाती हैं। इसके बावजूद सरकार के ही एक विभाग द्वारा इस पर आपत्ति जताना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘विरोधाभास’ को दर्शाता है। संघ ने यह भी याद दिलाया कि इससे पहले भी, 19 अप्रैल 2023 की अधिसूचना के तहत, JSSC ने JAC से प्राप्त आलिम और फ़ाज़िल डिग्री धारकों को स्नातक प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों के पद पर नियुक्त किया था।
वंचित करने की साजिश का आरोप
अमीन अहमद ने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारी कह रहे हैं कि मौलवी परीक्षा के बाद स्नातक की डिग्री अनिवार्य है। संघ ने इस तर्क को ‘निराधार’ और ‘अनुचित’ बताया है। संघ का मानना है कि यह पूरा मामला योग्य अभ्यर्थियों को नौकरी से वंचित करने की एक ‘सोची-समझी साजिश’ है।
मुख्यमंत्री से संघ की प्रमुख मांग
- JAC द्वारा 2006 की अधिसूचना का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
- काउंसलिंग के बाद अंतिम सूची तुरंत प्रकाशित कर सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाए।
- विधि विभाग और JSSC की ओर से की गई व्याख्या को तत्काल वापस लिया जाए।
संघ के पदाधिकारियों में एनामुल हक़, शाहिद अनवर, मो. फखरुद्दीन और शहजाद अनवर ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो वे व्यापक आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।