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फिर चर्चा में JNU, भारत विरोधी नारे ‘…तेरी कब्र खुदेगी’ ने खड़ा किया विवाद

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क : अक्सर कहा जाता है कि दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालयय (JNU) में अभिव्यक्ति के खुलेपन के नाम पर कुछ लोग अपनी कुंठा को सामने लाते रहते हैं। ऐसे तत्व की वजह से शिक्षा का यह केंद्र बदनाम होता है। अक्सर विवादों में रहने वाली दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी एक बार फिर चर्चा में है। गांधी जयंती से एक दिन पूर्व रविवार (एक अक्टूबर, 2023) को सुबह-सुबह कैंपस में कुछ जगहों पर देश विरोधी नारे लिखे मिले। यानि रात में ही किसी ने यह कारस्तानी कर डाली है।

देशविरोधी वाल राइटिंग पर विश्वविद्यालय प्रशासन मौन

JNU कैंपस में कुछ अज्ञात लोगों ने विवादित नारे लिख दिए हैं। दीवारों पर ‘फ्री कश्मीर’ और ‘भगवा जलेगा’ जैसी आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं। गौर करनेवाली बात यह भी है कि इस बात की चर्चा आग की तरह फैल गई लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से फिलहाल इस संबंध में कोई बयान जारी नहीं किया गया है।

कैंपस की कुछ दीवारों पर सीएए-एनआरसी पर क्रॉस के निशाने लगाए गए हैं। यह साफ नहीं हो पाया है कि भारत विरोधी नारे कब और किसने लिखा है। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन भी अभी खामोश है।

एबीवीपी ने कहा- कुंठित मानसिकता वालों की गिरी हरकत

वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीपीवी) ने इस मामले को लेकर अपना विरोध दर्ज किया है। इस एबीवीपी की ओर से इस संदर्भ में विश्वविद्यालय प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा गया है।

एबीवीपी सेक्रेट्री विकास पटेल ने कहा कि JNU कैंपस में जो हुआ है, वह ठीक नहीं है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया गया कि कुछ कुंठित वामपंथी लोगों की ओर से यह गिरी हुई हरकत है।

कुछ लोग माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं। ऐसे में विवि कैंपस की सुरक्षा बढ़ाई जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने आरोपी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग भी की है। विश्विवद्यालय के कुछ प्रोफेसर्स ने भी कहा है कि इस तरह से विवादित नारे लिखना ठीक नहीं है।

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पहले भी आते रहे हैं विवादित मामले

JNU कैंपस में पहली बार ऐसा नहीं हुआ। पहले भी इस प्रकार के मामले सामने आते रहे हैं। एक वर्ग तो ऐसा मानता है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस देशविरोधी तत्वों का अड्डा बन चुका है। कुछ साल पहले ऐसे मामलों को लेकर ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। देश में राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया था जेएनयू। देश विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए पुलिसिया कार्रवाई भी की गई थी। इसके बावजूद एक बार फिर इस तरह का विवाद खड़ा हो रहा है।

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