Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित सहायक आचार्य परीक्षा के परिणाम में एक बड़ी अनियमितता सामने आई है, जिसने आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परीक्षा परिणाम में कई ऐसे मामले उजागर हुए हैं, जहां एक ही अभ्यर्थी का चयन एक से अधिक आरक्षित वर्ग और जिलों में हो गया है, जो नियमों के अनुसार संभव नहीं है।
कैसे हुई ये गड़बड़ी?
जांच में पता चला है कि कई अभ्यर्थी एक ही रोल नंबर के साथ पिछड़ा वर्ग (BC) और अनुसूचित जनजाति (ST) दोनों श्रेणियों में उत्तीर्ण हो गए हैं। इसके अलावा, एक अभ्यर्थी अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) और पिछड़ा वर्ग, दोनों श्रेणियों में सरायकेला खरसावां जिले में चयनित हुआ है। इसी तरह, साहेबगंज जिले में एक अभ्यर्थी अनारक्षित और अत्यंत पिछड़ा वर्ग दोनों श्रेणियों में पास हुआ है।
- उदाहरण के तौर पर :
- रामगढ़ जिले में सोशल साइंस विषय में रोल नंबर 141567001 अत्यंत पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ पिछड़ा वर्ग श्रेणी में भी पास हुआ है।
- चतरा जिले में रोल नंबर 144213408 पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति दोनों श्रेणियों में पास हुआ है। हैरानी की बात यह है कि इस जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग की केवल एक ही सीट थी, जो इसी अभ्यर्थी के पास होने से भर गई।
- भाषा विषय में रोल नंबर 148646869 का चयन दुमका और पूर्वी सिंहभूम दोनों जिलों में हुआ है, जो JSSC के नियमों के खिलाफ है।
नियमों का हुआ उल्लंघन
विशेषज्ञों का कहना है कि आरक्षित वर्ग में नियुक्ति को लेकर नियम बिल्कुल स्पष्ट हैं। एक अभ्यर्थी केवल एक ही आरक्षित वर्ग श्रेणी या एक ही जिले में चयनित हो सकता है। झारखंड में पिछड़ा वर्ग को भी अत्यंत पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग में बांटा गया है। ऐसे में, किसी भी स्थिति में एक ही व्यक्ति दोनों श्रेणियों में पास नहीं हो सकता। यह गड़बड़ी या तो तकनीकी खामी या मानवीय भूल का नतीजा हो सकती है, लेकिन यह निश्चित रूप से अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इन अनियमितताओं ने आयोग की पारदर्शिता पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
हमारे संज्ञान में यह नहीं है। अगर ऐसा काेई मामला है ताे हम उसे ठीक करेंगे। अभ्यर्थी हमें इसकी जानकारी दें। इतने बड़े स्तर पर रिजल्ट का प्रकाशन हुआ है। कुछ गलति हाे सकती है। लेकिन इस कुछ भी तभी किया जाएगा जब अभ्यर्थी प्रमाण के साथ हमारे पास आएंगे।
सुधीर गुप्ता सेक्रेटरी, जेएसएससी