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Kargil Vijay Divas : कारगिल जंग के 25 साल पूरे, जानिए कैसे भारतीय सेवा ने पाई थी विजय

by Rakesh Pandey
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देहरादून : Kargil war completes 25 years :  कारगिल युद्ध को 25 बरस हो चुके हैं। ये युद्द शहीद जवानों के अदम्य साहस और उनके बलिदान का प्रतीक है। कारगिल को देश हमेशा याद रखेगा। कारगिल युद्द के बाद भारत की सेना का लोहा पूरी दुनिया मानती है। भारतीय सेना का दम कई बार दुनिया की अन्य सेनाओं ने देखा है। इंडियन आर्मी की वीरता और बलिदान के लिए 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।

आज से लगभग 25 साल पहले 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान लद्दाख में भारतीय लड़ाकों ने पाकिस्तान को पटखनी दी थी। कारगिल में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने प्राणों की आहुति दी थी।

कारगिल युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट के 12 जवान, 3 इंजीनियिरंग, 2 महार रेजीमेंट, 1 गार्ड रेजीमेंट, 1 पैरा रेजिमेंट, 9 गोरखा राइफल्स, 3 आरआर, 1 राजपूताना राइफल्स, 1 एयरफोर्स, 1 रेजिमेंट लद्दाख स्काउट, 1 गढ़वाल राइफल सहित 19 जवान शहीद हुए थे। शहीद होने वाले जवानों में पौड़ी जिले से 3, पिथौरागढ़ से 4 रुद्रप्रयाग 3, टिहरी 11, ऊधमसिंह नगर 2, उत्तरकाशी 1, देहरादून 14, अल्मोड़ा 3, बागेश्वर 3, चमोली 7, लैंसडौन 10, नैनीताल के 5 जवान शहीद हुए थे। गढ़वाल राइफल्स के 47 जवान शहीद हुए थे। जिनमें 41 जांबाज उत्तराखंड के ही थे। कुमाऊं रेजीमेंट के भी 16 जांबाज ने अपने प्राण न्यौछावर किए थे। उत्तराखंड के जवानों को 15 सेना मेडल, 2 महावीर चक्र, 9 वीर चक्र, 11 मेंशन इन डिस्पैच मिले।

Kargil war completes 25 years : कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे देश के 524 सैनिक

बता दें कि साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपने 524 सैनिकों को खो दिया था। वहीं इस भीषण युद्ध में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपना पराक्रम दिखाने वाले 1363 सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे। भारतीय सैनिकों ने इससे बड़ी चोट पाकिस्तान को दी थी। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के चार हजार से ज्यादा जवान मारे गए थे।

Kargil war completes 25 years : सीएम धामी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य को नमन किया। सीएम धामी ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भी देश के लिए बलिदान देने की परंपरा रही है। कारगिल युद्ध में बड़ी संख्या में उत्तराखंड के वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों, पूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है। हमें अपने जवानों की वीरता पर गर्व है। भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य का लोहा पूरी दुनिया मानती है। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।

वहीं इसके बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने घोषणा कर दी थी कि कश्मीर में युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। वहीं 4 जुलाई को भारतीय सेना ने लगातार 11 घंटे लड़ाई कर टाइगर हिल्स पर तिरंगा फहराया। उसके अगले ही दिन द्रास सेक्टर पर भी हमारा कब्जा हो गया। इसके साथ ही दो दिन बाद 7 जुलाई को बाटलिक सेक्टर में जुबर पहाड़ी पर भारतीय सेना ने फिर कब्जा जमाया, लेकिन इसमें कैप्टन विक्रम बत्रा शहीद हो गए।

हालाकि 11 जुलाई को भारतीय सेना ने बाटलिक सेक्टर की सभी पहाड़ियों की चोटियों पर कब्जा जमाया, जिसके बाद 12 जुलाई को पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के सामने बातचीत की पेशकश की। वहीं 14 जुलाई को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को देश से पूरी तरह से खदेड़ दिया और फिर 26 जुलाई को भारत ने कारगिल युद्ध जीतने की घोषणा कर दी।

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