Jamshedpur (Jharkhand) : जमशेदपुर के साकची स्थित करीम सिटी कॉलेज के हिंदी विभाग ने प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक पहल की। कॉलेज के सभागार में “साहित्य और समाज: आज के संदर्भ में” विषय पर एक सर्वभाषीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें हिंदी, उर्दू, बांग्ला, ओड़िआ और अन्य भाषाओं के छात्र-छात्राओं और विद्वानों ने हिस्सा लिया।
साहित्य का अस्तित्व साहित्यकारों और कवियों से है : प्राचार्य
कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. एस सी गुप्ता ने की, जबकि प्राचार्य डॉ. मोहम्मद रेयाज विशेष रूप से उपस्थित थे। प्राचार्य ने अपने संबोधन से कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि साहित्य का अस्तित्व साहित्यकारों और कवियों से है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे ही समाज में मानवता को स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
संगोष्ठी में अतिथि वक्ताओं के रूप में बांग्ला विभाग के डॉ. बीएन त्रिपाठी, उर्दू से प्रो. मोहम्मद ईसा और डॉ. शाहबाज अंसारी, तथा ओड़िया विभाग से डॉ. अनुपम मिश्रा आमंत्रित थे। डॉ. बीएन त्रिपाठी ने प्रेमचंद के समकालीन लेखकों, रवींद्रनाथ टैगोर और शरत चंद्र चटर्जी, के संदर्भ में अपने विचार प्रस्तुत किए। वहीं, प्रो. मोहम्मद ईसा ने शायरी को साहित्य का एक महत्वपूर्ण पहलू बताते हुए आज के शायरों की रचनाओं में समाज के वास्तविक रूप और समस्याओं के प्रतिबिंब को दिखाया। डॉ. शाहबाज अंसारी और डॉ. अनुपम मिश्रा ने प्रेमचंद की कहानियों के आलोक में साहित्य को परिभाषित किया।
हर युग में साहित्य और समाज का संबंध रहा है अटूट
अध्यक्षीय भाषण में डॉ. एस सी गुप्ता ने कहा कि साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है और हर युग में इन दोनों का संबंध अटूट रहा है। क्योंकि साहित्य की रचना समाज के भीतर ही होती है। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. फिरोज आलम ने बहुत ही खूबसूरती से किया। इस सफल आयोजन की रूपरेखा डॉ. संध्या सिंहा ने तैयार की थी। अंत में, सुशांत बोबोंगा ने सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस संगोष्ठी में अन्य प्राध्यापकों के साथ-साथ डॉ. अमान मोहम्मद खान और डॉ. सादिक इकबाल की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।