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जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी? शुभ मुहूर्त,पूजन विधि और महत्व

by Rakesh Pandey
जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी
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धर्म-कर्म डेस्क : कृष्ण जन्माष्टमी में अब महज कुछ दिन ही रह गए हैं। इसको लेकर पूरे देश में भक्ति का वातावरण छाया हुआ है। सभी कृष्ण मंदिरों को रंगीन लाइटों और फूलों से सजाया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया जायेगा।

आइये जानते हैं इस साल पूजा, शुभ मुहूर्त व जन्माष्टमी के महत्व के बारे में!

भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर को पड़ेगा। भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर 3.37 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर को शाम 4.14 बजे समाप्त होगी।

जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी

जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी

6 सितंबर को सुबह 9.21 बजे रोहिणी नक्षत्र शुरू होकर 7 सितंबर सुबह 10.25 बजे रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगा। वहीं, शुभ मुहूर्त 6 सितंबर को रात 11.47 बजे से 12.42 बजे तक है। इस दौरान भगवान की पूजा करना शुभ रहेगा। इस दिन भगवान बाल गोपाल की विधि-विधान से पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

पूरे संसार में भगवान कृष्ण के गीता में दिए उपदेश को पढ़ा जाता है। अभी भी दुनिया भर के वैज्ञानिक उनके दिये उपदेश पर शोध कर रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण ने पूरी दुनिया को कर्म के महत्व को बतलाया। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। वे 16 कलाओं से युक्त थे। भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी पर अधर्म पर धर्म की विजय दिलाकर धर्म की स्थापना की थी। भक्तों द्वारा हर साल उनकी जन्मोत्सव पर बाल गोपाल की पूजा की जाती है।

जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी

हिंदू धर्मावलंबियों द्वारा कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल और शालिग्राम की विधि-विधान से पूजा की जाती है। उन्हें 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। जन्मोत्सव पर बाल गोपाल को अभिषेक किया जाता है। उसके बाद उन्हें नये वस्त्र और आभूषण पहनाये जाते हैं। वहीं, भक्त पूरे दिन उपवास व फलाहार रहकर भगवान की भजन करते हैं। पूजा के पश्चात भक्त प्रसाद का पारण करते हैं। इसके बाद रात भर भजन कर नाचते गाते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान लड्डू गोपाल की पूजा करने से जीवन भर भगवान कृष्ण सुख व शांति प्रदान करते हैं।

भगवान श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी कहानी

भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कहानी बहुत ही रोचक है। उनके जन्म के कई रहस्य हैं, जिसे आज भी लोग सुनकर भगवान श्री कृष्ण के चमत्कार का गुणगान करते हैं। भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उनकी माता का नाम देवकी और पिता का नाम वासुदेव था।

उनकी मां देवकी की शादी के बाद उनके मामा कंस जब अपनी बहन को ससुराल पहुंचाने जा रहे थे, तभी आकाश से भविष्यवाणी हुई, कंस की मौत का कारण देवकी का आठवां संतान होगा। ऐसे में कंस घबराकर डर गया और वह उसी समय अपनी बहन देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया। कई वर्षों तक कंस अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को काफी प्रताड़ित किया। इस दौरान उनके सभी संतानों की कंस ने हत्या कर दी।

जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्री कृष्णा देवकी और वासुदेव के आठवें संतान थे। उनके जन्म के समय दैवीय चमत्कार हुआ। कारागार के सभी फाटक अपने आप खुल गए। कारागार के पहरेदार सभी सो गए। इस दौरान आकाश से मेघ गर्जन तेजी से हो रहा था। भारी बारिश भी हो रही थी। सभी जगह घोर अंधेरा छा गया, तभी योग माया के चमत्कार से उनके पिता वासुदेव ने आधी रात घोर अंधेरे में श्री कृष्ण को अपने मित्र नंदजी के घर गोकुल छोड़ने चले गए। फिर वे कारागार में आ गए।

फिर गोकुल में श्री कृष्ण का पूरा बचपन बिता। इस दौरान कंस के कई असुर बाल कृष्ण को मारने की चेष्ठा की, लेकिन भगवान श्री कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे। वे सभी असुरों को बाल समय में ही मार दिये। इसी तरह उनका बचपन गोकुल में बीता। वहीं, नंदजी की पत्नी यशोदा उनकी मां के रूप में उनका पालन-पोषण की।

जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी

14 साल की उम्र में भगवान श्री कृष्णा युवा रूप में मथुरा आते हैं और अपने मामा कंस को मार कर माता-पिता को कारागार से मुक्त कराते हैं। भगवान श्री कृष्णा 16 कलाओं से युक्त थे। उन्होंने कुरुक्षेत्र में भगवान विष्णु के दिव्य रूप धारण कर गीता का ज्ञान दिया।

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