प्रयागराज : आगामी 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होने वाला महाकुंभ मेला इस बार एक खास मोड़ पर है। एप्पल के सह-संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी इस पवित्र मेले में शामिल होने जा रही हैं। इस अवसर पर वे साध्वी बनकर कल्पवास करने वाली हैं।
क्या है कल्पवास?
कल्पवास एक प्राचीन हिंदू परंपरा है, जिसका विशेष महत्व महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में होता है। इसका उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है। कल्पवास को एक विशेष प्रकार का तप और साधना माना जाता है, जिसमें साधक शारीरिक और मानसिक शुद्धता के लिए कठोर नियमों का पालन करता है।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स का आध्यात्मिक सफर
लॉरेन पॉवेल जॉब्स इस बार निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में रहेंगी। यहां वे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हुए संगम में पवित्र स्नान करेंगी। उनका प्रवास 29 जनवरी तक चलेगा। इस समय के दौरान वे महाकुंभ के आध्यात्मिक सार को आत्मसात करने का प्रयास करेंगी।
कल्पवास के नियम
कल्पवास करना कोई आसान कार्य नहीं है। इसके दौरान कई कठोर नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। ये हैं नियम :-
- सच बोलना, अहिंसा, और ब्रह्मचर्य का पालन
- इंद्रियों पर नियंत्रण और सभी प्राणियों के प्रति दयाभाव दिखाना
- दान करना, जप करना, और पवित्र नदी में स्नान करना
- एक समय भोजन, और जमीन पर सोना
- अग्नि सेवन और देव पूजन
इस प्रकार के तप से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक आशीर्वाद मिलता है, बल्कि उसे जन्मों के बंधन से मुक्ति भी मिल सकती है।
महाकुंभ मेला का ऐतिहासिक महत्व
हर 12 साल में महाकुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है। यह मेला संगम में आयोजित होता है, जो गंगा, यमुन और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम स्थल है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें यहां गिरी थीं, जिससे यह स्थान अत्यधिक पवित्र हो गया। इस साल महाकुंभ में लाखों भक्तों के आने की उम्मीद जताई जा रही है। यहां पवित्र डुबकी लगाने से पापों का नाश और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति मानी जाती है।