हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर : प्रकाश फैलाने का पर्व दीपावली व महापर्व छठ पर्व पर किसी प्रकार रंग में भंग नहीं पड़े, इसके लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। सतर्कता बरती जा रही है। दीपावली व छठ को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किया है। जमशेदपुर के सभी निजी व सरकारी अस्पतालों को अलर्ट किया गया है। सिविल सर्जन डॉ. जुझार माझी ने एमजीएम, टीएमएच, सदर अस्पताल, टिनप्लेट अस्पताल, टाटा मोटर्स अस्पताल, मर्सी सहित अन्य को पत्र लिखा है।
अस्पतालों में बेड आरक्षित रखने के निर्देश
अस्पतालों को पत्र के माध्यम से सिविल सर्जन ने कहा है कि दीपावली, काली पूजा और छठ को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त रखना सुनिश्चित करें। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें। वहीं, चिकित्सा दल, एंबुलेंस यूनिट में शामिल कर्मियों का छुट्टी तत्काल रद्द रहेगी। इसके साथ ही सिविल सर्जन ने अस्पतालों में कुछ आरक्षित बेड भी रखने का निर्देश दिया है। खासकर बर्न यूनिट में। चूंकि, दीपावली के दौरान पटाखा जलाने के दौरान झुलसने का खतरा बढ़ जाता है। दीपावली के दिन ओपीडी सेवा बंद रहेगी। जबकि इमरजेंसी सेवा चालू रहेगी।
अस्थमा के रोगी रहें सावधान
– दीपावली में हर साल प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। अगर आपको अस्थमा की परेशानी हो तो काफी सतर्क रहने की जरूरत है। प्रदूषण से आपकी परेशानी बढ़ सकती है। शहर के जाने-माने फिजिशियन डॉ. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि बढ़ते प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का उपयोग करना चाहिए। खासकर जब घर से बाहर निकले तो मास्क अवश्य पहने। जिन लोगों को एलर्जी की परेशानी है उन्हें भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
इनहेलर साथ में रखें
डॉ. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि दीपावली के मौके पर अस्थमा रोगियों को अपने साथ इनहेलर रखना चाहिए। ताकि जब मरीजों को अस्थमा अटैक करे तो उससे बचा जा सके। जब अस्थमा बढ़ जाता है तब दवा के साथ-साथ इनहेलर की आवश्यकता पड़ती है।
ब्रीदिंग व्यायाम अवश्य करें
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नीना गुप्ता कहती हैं कि अस्थमा रोगियों को ब्रीदिंग व्यायाम नियमित रूप से करना चाहिए। इससे फेफड़ों को मजबूती मिलती है। ऐसे में किसी योग शिक्षक से सलाह लेकर इसे नियमित रूप से करें। लाभ होगा।
ये खाने से बचें
डायटीशियन प्रिया कुमारी कहती हैं कि अस्थमा के रोगियों को दूध व डेयरी प्रोडक्ट खाने से बचना चाहिए। ये डेयरी प्रोडक्ट फेफड़ों में म्युकस के निर्माण को बढ़ाकर अस्थमा रोगियों की परेशानी को और बढ़ा देता है।
दमा और अस्थमा में क्या फर्क है?
अधिकांश लोग अस्थमा व दमा को अलग-अलग बीमारी समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों एक ही बीमारी है। डॉ. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि अस्थमा को हिंदी में दमा कहते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है, जिसमें श्वास नलिकाएं प्रभावित होती है।
क्या अस्थमा ठीक हो जाता है?
अधिकांश लोगों को लगता है कि अस्थमा ठीक होने वाली बीमारी नहीं है। एक बार होने से बाद जीवनभर दवा खानी होती है लेकिन ऐसा नहीं है। यह बीमारी बिल्कुल ठीक हो जाती है। डॉ. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि अस्थमा का इलाज सही समय पर शुरू हो जाए तो इसे कुछ दिनों के अंदर ठीक किया जा सकता है। गंभीर अस्थमा के मरीज भी दवा से ठीक हो जाते हैं। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है।
अस्थमा कितने तरह के होते हैं
अस्थमा के कई प्रकार होते हैं लेकिन इसमें सबसे ज्यादा चार तरह के मरीज ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसमें एडल्ट ऑनसेट अस्थमा, एलर्जिक ऑक्यूपेशनल अस्थमा, व्यायाम से होने वाला अस्थमा और गंभीर (सीवियर) अस्थमा आदि।
अस्थमा का लक्षण क्या है?
– अस्थमा के रोगी को रात में सोते समय सांस लेने के दौरान घरघराहट होता है।
– सांस लेते समय सीटी जैसे आवाज अंदर से आता है। इस दौरान मरीज को सतर्क हो जाना चाहिए और किसी चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
– छाती में जकड़न जैसा महसूस होता है।
– हमेशा थकावट महसूस होना। शरीर को एनर्जी नहीं मिलती। इससे किसी काम में मन नहीं लगता।