Home » चलो! माँ बाप को परिवार में जोड़ा जाए

चलो! माँ बाप को परिवार में जोड़ा जाए

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

 

जिसने ता-उम्र कलेजे से लगाये रक्खा
ढेरों उम्मीद के दीपक को जलाए रक्खा
जिसने दुआओं के जलाए हैं असंख्य दीये
क्यूं भला ईश से इस तरह मुँह मोड़ा जाय
चलो! माँ-बाप को परिवार में जोड़ा जाए

तपती धूप में बरगद का जिसने छांव दिया
तेरे अरमान को चलने को अपना पाँव दिया
तू रहे चैन कई रैन न पलकें झपकीं
तेरे शब्दों की चुभन रोज चुभी न सिसकी
क्यूँ बट वृक्ष को पानी के बिन छोड़ा जाय
चलो! माँ-बाप को परिवार में जोड़ा जाए

तू तो था राज कुँवर आज वो दासी क्यूँ है?
प्रेम की दरिया ही अब नेह की प्यासी क्यूँ है?
तू कहे आसमां से तारे तोड़ लाती थी
स्नेह आँचल के तले लोरियाँ सुनाती थी
क्यूँ सौभाग्य से इस तरह मुँह मोड़ा जाए?
चलो! माँ-बाप को परिवार में जोड़ा जाए!

तू जो बोयेगा भाई फल उसी का पायेगा
तेरा किया कभी न अगले जनम जाएगा
हो गया है बड़ा पर माँ के लिए छोटा है
तू भी है बाप आज तेरा भी एक बेटा है
झूठे इस शान में क्यों स्वार्थ का रोड़ा आये
चलो! माँ-बाप को परिवार में जोड़ा जाए

Related Articles