राउरकेला : रथयात्रा का अंतिम पड़ाव शनिवार को रहा। महाप्रभु जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र अपने-अपने रथों से उतरकर श्री मंदिर में पधारे। देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र आसानी से मंदिर में प्रवेश कर गये, लेकिन महाप्रभु के साथ एक और जिज्ञासु घटना हुई।
जब महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने पहुंचे तो मां लक्ष्मी ने श्रीमंदिर का दरवाजा बंद कर दिया। इसके बाद भगवान जगन्नाथ और देवी मां लक्ष्मी के बीच कलह हुआ।
महाप्रभु जगन्नाथ से देवी लक्ष्मी नाराज हो गयीं। नाराजगी का कारण यह था कि भगवान गुंडिचा मौसी की रथ यात्रा पर देवी लक्ष्मी को साथ क्यों नहीं ले गये। भगवान जगन्नाथ ने देवी लक्ष्मी से श्री मंदिर में प्रवेश करने देने के लिए अनुरोध किया और उन्हें एक मिष्ठान्न और एक सुंदर साड़ी भेंट की। इस पर माँ लक्ष्मी शांत हो जाती हैं। भगवान की क्षमा स्वीकार करती हैं, और श्री मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति देती हैं। यह शुभ दिन जगन्नाथ संस्कृति में नीलाद्रि बिज के नाम से प्रसिद्ध है।
मंदिर में दर्शन के लिए लगा लोगों का हुजूम
मंदिर में दर्शन के लिए लोगों की भारी भीड़ लगी रही। राउरकेला के सभी मंदिरों में यह प्रक्रिया पूरे विधि विधान से पूरी की गयी।