स्पेशल रिपोर्ट, नई दिल्ली: गत 18 जुलाई को कर्नाटक के बेंगलुरु में आयोजित बैठक खत्म होने के साथ ही विपक्ष का पूरा कुनबा इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिव इंक्लूसिव अलायंस ( INDIA ) की छतरी के नीचे आ गया है। विपक्षी गठबंधन का नया नाम I.N.D.I.A तय होने को लेकर मीडिया रिर्पोट्स के जरिए लगातार यह बातें सामने आ रही हैं।
रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि विपक्ष के गठबंधन के इस नाम से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज हैं। बताया जा रहा है कि उनकी नाराजगी का कारण है कि I.N.D.I.A में N.D.A अक्षर हैं।
विपक्षी गठबंधन का नाम कैसे रखा गया INDIA
बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक ने मौजूद रहे विश्वस्त सूत्रों की माने तो इस बैठक में सबसे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया नाम का प्रस्ताव रखा। इस नाम पर राहुल गांधी ने सहमति जतायी। विपक्षी दलों को भी इस नाम पर अपनी राय देने को कहा गया।
लगभग सभी दलों ने इस नाम पर सहमति बनाया। हालांकि नीतीश कुमार इस नाम के पक्ष में नहीं थे लेकिन साथ ही उन्होंने भी यह भी कहा कि अगर सभी दलों की इस पर आम राय है, सहमति बन गयी है तो उन्हें भी इस नाम पर कोई आपत्ति नहीं है।
नीतीश की नाराजगी को लेकर क्यों सवाल उठा रहा है सत्ता पक्ष
इधर, सत्ता पक्ष की ओर से बार-बार इस प्रकार की बातें कही जा रही है कि विपक्षी एकता से पूर्व ही नीतीश कुमार नाराज हो गये हैं।इसी वजह से वे साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए।
हालांकि, इस पर ना अब तक इंडिया के किसी घटक दल के किसी बड़े नेता का कोई बयान सामने नहीं आया है और ना ही नीतीश कुमार ने ही किसी प्रकार का कोई खंडन किया है।
मायावती ने कहा- अकेले लड़ेंगी लोकसभा चुनाव
बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया से दूरी बनाने की घोषणा की। कहा कि बसपा राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में वह अकेले चुनाव लड़ेंगी। किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
साथ ही लोकसभा चुनाव में भी अकेले मैदान में जाने की बात कही। हालांकि हरियाणा व पंजाब जैसे राज्य में कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने की घोषणा की। मायावती ने कहा कि विपक्षी द्वारा सिर्फ सत्ता पाने के लिए गठबंधन की जा रही है।
इसे मजबूरी का गठबंधन करार किया। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह पूंजीवादी व जातिवादी ताकतों के साथ गठबंधन कर रही है। मायावती ने कहा कि सत्ता से बाहर होने पर ही कांग्रेस को दलितों, पिछड़ों और गरीबों की याद आती है।
सत्ता में रहते हुए ना ही भाजपा और ना ही कांग्रेस किसी पार्टी को गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों की याद नहीं आती है। उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि 2014 के चुनाव में हर गरीब के खाते में 15-15 लाख रुपये डालने का वायदा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हो सका है।